छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में शुक्रवार को जिन 70 सीटों पर मतदान होगा उनमें बिलासपुर संभाग की वे 25 सीटें भी शामिल हैं जो राज्य विधानसभा में लगभग एक तिहाई विधायक भेजती हैं। इन सीटों पर जीत के लिए कांग्रेस और भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है।
राज्य के पांच संभागों में से एक मध्य क्षेत्र में स्थित बिलासपुर संभाग में सबसे अधिक 25 विधानसभा क्षेत्र हैं जो राज्य में यह फैसला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं कि सत्ता की चाबी किसके हाथ लगेगी।बिलासपुर संभाग एक ऐसा क्षेत्र है जहां से कांग्रेस को 2018 के चुनाव में अन्य जगहों के मुकाबले कम सीटें मिली थीं।
2018 में इस क्षेत्र की दो सीटों पर जीत हासिल करने वाली बसपा ने इस बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) के साथ गठबंधन किया है। राज्य में आम आदमी पार्टी भी मैदान में है।
चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों ने इस बार बिलासपुर संभाग में प्रचार में अपनी पूरी ताकत लगा दी। इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने अपनी अपनी पार्टियों के पक्ष में रैलियां कीं।
बिलासपुर संभाग में आठ जिले रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर, गौरेला—पेंड्रा—मरवाही, जांजगीर-चांपा, मुंगेली, सक्ती, तथा सारंगढ़-बिलाईगढ़ शामिल हैं।
संभाग की पांच सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए तथा पांच सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।
छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और बिलासपुर से सांसद अरुण साव ने दावा किया कि आंतरिक सर्वेक्षणों के अनुसार भाजपा इस क्षेत्र की 25 में से 20 सीटें जीत सकती है।
लोरमी विधानसभा सीट से प्रत्याशी साव ने कहा कि पार्टी ने संभाग में नए चेहरों के साथ-साथ वरिष्ठ नेताओं को भी मैदान में उतारा है।
विधानसभा में विपक्ष के नेता नारायण चंदेल (जांजगीर-चांपा सीट), पूर्व आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी (रायगढ़), भाजपा के दिग्गज नेता दिवंगत दिलीप सिंह जूदेव के परिवार के दो सदस्य – संयोगिता जूदेव (चंद्रपुर) और प्रबल प्रताप सिंह जूदेव (कोटा) – इस संभाग में अन्य प्रमुख भाजपा उम्मीदवारों में से हैं।
इधर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पिछले चुनाव में पार्टी को बिलासपुर संभाग में अपेक्षा से कम सफलता मिली थी इसलिए पार्टी ने संभाग में प्रचार के लिए विस्तृत योजना बनाई।
शुक्ला ने पीटीआई-भाषा से कहा, ”हमने पिछली बार राज्य में तीन-चौथाई बहुमत से जीत हासिल की थी, लेकिन बिलासपुर संभाग में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके।”
उन्होंने बताया कि खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जैसे शीर्ष नेताओं ने इस बार क्षेत्र में आक्रामक रूप से प्रचार किया।