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काम आई अमित शाह की खास रणनीति… मणिपुर में चीन समर्थित विद्रोही समूह UNLF ने किया शांति समझौता

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आजादी के बाद से पूर्वोत्तर में अलग-अलग राज्यों में सशस्त्र आंदोलन होते रहे हैं. इन मांगों की आड़ में उग्रवादी संगठनों का जन्म हुआ और वह हथियारों के बल पर पूर्वोत्तर में तैनात सुरक्षा बलों से लगातार संघर्ष करते आए हैं. पिछले कुछ सालों में गृहमंत्री अमित शाह की पहल पर पूर्वोत्तर के कई अलगाववादी सशस्त्र संगठनों ने भारत सरकार से शांति समझौता किया है और मुख्यधारा में लौटे हैं. इसी कड़ी में चीन समर्थित यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने बुधवार को भारत सरकार के साथ एक महत्वपूर्ण शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए.

कैसे किया गृह मंत्रालय ने यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट से समझौता
दरअसल पिछले कुछ सालों में ऐसे ही कई समझौते गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर के सशस्त्र अलगाववादी संगठनों से किए हैं. ये समझौते भारत सरकार गृह मंत्रालय के अथक प्रयासों के जरिए ही किए गए हैं. सबसे ताजा मामला है यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट द्वारा शांति समझौते पर किए गए हस्ताक्षर. इस समझौते की पृष्ठभूमि 3 साल पहले लिखी गई. यूएनएलएफ के वरिष्ठ नेताओं ने 2020 में पहली बार मुख्यधारा में शामिल होने के भारत सरकार के प्रस्ताव पर अनुकूल प्रतिक्रिया दी. जिसके बाद इस संगठन से वार्ता आगे बढ़ी और बुधवार को ये अपने मुकाम तक पहुंची. इस समझौते से समान संख्या में हथियारों के साथ 400 से अधिक कैडरों के शुरू में शांति प्रक्रिया में शामिल होने की संभावना है. राज्य और उत्तर पूर्व क्षेत्र के सुरक्षा परिदृश्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा. इसके बाद अन्य संगठनों के सशस्त्र कैडरों ने भी आने वाले दिनों में शांति प्रक्रिया में शामिल होने के लिए अपना झुकाव व्यक्त किया है.

यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट के संचालन क्षेत्र की पहचान
मोदी सरकार का विजन की पूर्वोत्तर में शांति स्थापित हो उसके तहत ऐसे इलाकों को पहचाना गया जहां ये संगठन सक्रिय था. इस प्रक्रिया के तहत गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर के मुख्यमंत्रियों और गृह मंत्रालय के आला अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें भी कीं. मणिपुर के सभी घाटी जिले (इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, थौबल, बिष्णुपुर, जिरीबाम और काकचिंग) और मणिपुर के पहाड़ी जिलों के कुछ कुकी/वापीफेई बहुल गांव. शिविर/प्रशिक्षण केंद्र/ठिकाने/आश्रय स्थान म्यांमार के सागांग क्षेत्र, चिन राज्य और राखीन राज्य में स्थित हैं. म्यांमार सेना के अधिकारियों के साथ घनिष्ठ संबंधों के कारण यह संगठन म्यांमार के भीतर स्वतंत्र रूप से काम करने में सक्षम था. आईआईजी के शिविरों पर लोकतंत्र समर्थक नागरिक मिलिशिया (पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज/पीडीएफ) के हालिया हमलों में, कोइरेंग गुट को उसके शिविरों को व्यापक नुकसान हुआ और उसके बड़ी संख्या में हथियार पीडीएफ द्वारा लूट लिए गए.

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संबंध और अग्रणी संगठन
जातीय पहचान के आधार पर, यूएनएलएफ सहित विद्रोही समूहों ने अपने उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए राजनीतिक नेताओं, नागरिक समाज संगठनों और स्थानीय प्रेस के साथ संबंध विकसित किए हैं. ये संगठन जबरन वसूली के माध्यम से अपनी पैठ बढ़ाने के लिए प्रमुख व्यवसायियों और सरकारी अधिकारियों के साथ घनिष्ठ संबंध भी बनाए रखते हैं.

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