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अंबिकापुर के रिंग रोड पर अवैध पार्किंग से लोग परेशान, कलेक्टर के निर्देश के बाद भी सुधार नहीं

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छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर के रिंग रोड पर सबसे ज्यादा खतरा बगैर पार्किंग खुले बैंकों से है. बैंक के सामने चारपहिया, दोपहिया वाहनें बेतरतीब ढंग से आधे रिंग रोड तक कब्जा जमाए खड़ी रहती हैं, जिसके चलते यह चौड़ा रिंग रोड तंग हो जाता है. पैदल चलने के लिए भी जगह नहीं बचते हैं. इसके चलते आए दिन लोग हादसे का शिकार हो रहे हैं. वहीं दोपहिया, चारपहिया चालक भी लहूलुहान हो रहे हैं. कलेक्टर कुंदन कुमार के निर्देश पर राजस्व, निगम और पुलिस की संयुक्त टीम की तरफ से अभी तक रिंग रोड के फुटपाथियों और गुमटी वालों पर आधी अधूरी कार्रवाई हुई है,जबकि गांधी चौक से प्रतीक्षा बस स्टैंड के बीच रिंग रोड में कई जगह पर बैंकों और अस्पतालों के चलते सड़क पर बनी अघोषित पार्किंग की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया.

कलेक्टर के निर्देश पर रिंग रोड सहित शहर के अन्य भीतरी और बाहरी मार्गों के फुटपाथों को कब्जा हटाने का काम शुरू किया गया है. विशेष मुहिम में आधी अधूरी कार्रवाई किए जाने के कारण रिंग रोड की हालत अभी भी जस की तस बनी हुई है. 11 किमी लंबे रिंग रोड में ठेले, खोमचों के अलावा गुमटियों का भी स्थाई कब्जा तेजी से बढ़ रहा है. रिंग रोड के फुटपाथ में कब्जा होने के चलते पैदल चलने वालों को भी सुरक्षित जगह नहीं मिल पा रहा है. जाम और दुर्घटना का भी यह प्रमुख कारण बन रहा है.

रोड किनारे लगा रहता है वाहनों का जमावड़ा

कार्रवाई के नाम पर अभी तक केवल आकाशवाणी चौक से प्रतापपुर नाका तक के ही फुटपाथियों और रिंग रोड से कब्जा हटाया गया है, जबकि गांधी चौक से लेकर रिंग रोड नमनाकला होते बिलासपुर चौक, खरसिया चौक होते चांदनी चौक तक अभी भी बड़ी संख्या में रिंग रोड पर ठेले खोमचे नजर आ रहे हैं, इसके अलावा खराब भारी वाहनें भी स्थाई रूप से कब्जा जमाए खड़ी रहती हैं. नगर के रिंग रोड पर भारी वाहनों की पार्किंग की समस्या प्रशासन की घोषणा के बावजूद यथावत बनी हुई है.

जिला और पुलिस प्रशासन रिंग रोड को भारी वाहनों के पार्किंग से कब्जा मुक्त कराने अब तक हुई कार्रवाई भी महज खानापूर्ति के समान ही साबित हुई है. डेढ़ दशक से चल रहे ट्रांसपोर्ट नगर का निर्माण कार्य भी अब तक बजट के अभाव में लटका हुआ है. इस बीच तीन बार सत्ता भी बदल गई, लेकिन शहर के रिंग रोड को गैरेज और भारी वाहनों के पार्किंग से मुक्ति नहीं मिल पाई है. बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा सहित महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से हर दिन यहां से गुजरने वाली भारी वाहनें रिंग रोड से ही अपने गंतव्य तक पहुंचती हैं. सर्वाधिक बुरा हाल रिंग रोड के किनारे निवास करने वाले लोगों का है, जो सड़क के अवैध स्थाई पार्किंग और जाम लगने की समस्या के साथ दुर्घटना की आशंका से भयभीत रहते हैं. शहर के रिंग रोड में नमनाकला मोहल्ले से लेकर बिलासपुर चौक तक मोटर वाहनों के गैरेज भी संचालित हैं और इन गैरेजों के सामने भी रिंग रोड में हर समय भारी वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है.

सड़क पर ही होती है वाहनों का मरम्मत

रिंग रोड के गैरेज संचालकों के तरफ से मनमाने ढंग से रिंग रोड पर ही ट्रक, बस सहित अन्य भारी वाहनों को खड़ा कर मरम्मत किया जाता है, जिसके चलते जहां-जहां गैरेज हैं, वहां वहां भारी वाहनों की रिंग रोड़ में कतारें लगी रहती है. मरम्मत के नाम पर कई वाहन स्वामियों के तरफ से खराब हो चुके वाहनों को स्थाई रूप से भी रिंग रोड में छोड़ दिया गया है, जिसके चलते मार्ग संकीर्ण और जानलेवा बनी हुई है. लोग आए दिन जान गंवा रहे हैं.

नागरिकों का कहना है कि रिंग रोड निर्माण के बाद उम्मीद थी कि इससे शहर की यातायात बेहतर होगी. उन्होंने चौड़ीकरण के लिए तोड़ फोड़ की पीड़ा भी सही, मगर प्रशासन की अनदेखी के चलते सड़क में पार्किंग बना दिए जाने से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है. नागरिकों का यह भी कहना है कि यातायात पुलिस और निगम प्रशासन भी इस मामले में गंभीरता नहीं दिखा रहा है, जिससे समस्या यथावत बनी हुई है.

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