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सरगुजा संभाग की सभी 14 सीटें जिताने वाले ये BJP विधायक बन सकते हैं साय केबिनेट के मंत्री, जानें रेस में कौन-कौन

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छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग मे विधानसभा की 14 सीट हैं. और बीजेपीने इन 14 की 14 सीट पर कांग्रेस को हराकर जीत हासिल की है. जिसके बाद राष्ट्रीय नेतृत्व ने सरगुजा संभाग के लोगों को बड़ा तोहफा दिया. और सूबे के सीएम का ताज सरगुजा संभाग के कुनकुरी से विधायक विष्णुदेव साय के सिर पहना दिया है. लेकिन सवाल ये है कि 14 की 14 सीट देने वाले सरगुजा संभाग के कितने विधायकों को साय केबिनेट में जगह मिलती है.

रेणुका सिंह
सीएम की रेस में चल रही रेणुका सिंह को सीएम का ताज तो नहीं मिला पर क़यास ये लगाए जा रहे हैं कि रेणुका सिंह को साय केबिनेट में बड़ा मंत्रालय मिल सकता है. 2003, 2008 और 2023 मे तीसरी बार विधायक बनी रेणुका सिंह 2019 मे सरगुजा संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतकर मोदी केबिनेट मे केन्द्रीय केन्द्रीय राज्य मंत्री है. इसके अलावा वो रमन सरकार में केबिनेट मंत्री और सरगुजा विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं. रेणुका सिंह को सांसद और केबिनेट मंत्री रहते हुए बीजेपीआलाकमान ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए भेजा है. इसलिए साय केबिनेट में उनकी दावेदारी सबसे मज़बूत मानी जा रही है.

रामविचार नेताम
सरगुजा संभाग की रामानुजगंज से विधायक रामविचार नेताम साय केबिनेट मे मंत्री बनने के बड़े दावेदार माने जा रहे हैं. अम्बिकापुर के पीजी कालेज से स्नातक तक की पढ़ाई करने वाले रामविचार नेताम वैसे तो छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय रहे हैं पर 1962 में सनावल गांव में जन्मे रामविचार नेताम उस दौर की पाल विधानसभा से पहली बार 1990 में विधायक चुने गए, जिसके बाद दूसरी बार 1993 से तीसरी बार 1998, चौथी बार 2003 और 2008 में पांचवीं बार विधायक बनकर सदन तक पहुंचे.

हालांकि, 2013 में कांग्रेस के बृहस्पति सिंह ने उनको चुनाव में हरा दिया था. वैसे पांच बार के इस बड़े आदिवासी नेता को हार के बाद बीजेपी आलाकमान ने 2015 में राज्यसभा बुला लिया. 1990 से 2013 तक पांच बार विधायक रहते हुए नेताम ने गृह जेल, जल संसाधन, उच्च शिक्षा, राजस्व और आदिम जाति कल्याण विभाग के मंत्री का दायित्व भी बखूबी निभाया. इतना ही नहीं रामविचार नेताम 2001 से 2003 तक अविभाजित सरगुजा जिले के अध्यक्ष रहें. वो बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव, बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष के रूप में भी काम कर चुके हैं. उनके इस अनुभव के कारण वो साय केबिनेट के बड़े मंत्री के दावेदार माने जा रहे हैं.

भइया लाल राजवाडे
70 साल के भईया लाल राजवाडे पहली बार 2003 मे विधानसभा चुनाव लड़े और उन्हें कांग्रेस के रामचंद्र सिंहदेव से हार का सामना करना पड़ा. लेकिन इलाक़े में बढ़ते जनाधार को देखते हुए बीजेपीने 2008 में फिर से भईया लाल राजवाडे पर दांव खेला और इस बार भईया लाल राजवाडे ने कांग्रेस के वेदांती तिवारी को मात दी थी. इस दौरान रमन सरकार मे राजवाडे को संसदीय सचिव बनाया गया. अब बारी 2013 विधानसभा चुनाव की थी. इस बार भईयालाल तीसरी बार चुनाव लड़े और दूसरी बार जीतकर विधानसभा पहुंचे.

इस बार रमन केबिनेट में उसको जगह मिली और वो श्रम खेल मंत्री बनाए गए थे. हालाँकि 2018 मे राजपरिवार की सदस्य अम्बिका सिंहदेव से हार के बाद 2023 मे एक बार फिर भईया लाल राजवाडे बड़े अंतर से चुनाव जीतकर सदन तक पहुँचे हैं. ऐसे मे इनकी इस प्रोफ़ाइल और सरगुजा में अच्छी संख्या में निवासरत राजवाडे समाज में उनकी बड़ी दखल को देखते हुए. साय मंत्रीमंडल में उनकी दावेदारी काफ़ी मज़बूत मानी जा रही है.

श्याम बिहारी जायसवाल
श्याम बिहारी जायसवाल 2013 में पहली बार सरगुजा संभाग के अविभाजित कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए. उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी गुलाब सिंह कमरो को चुनाव हराया था. उन्हें 32613 वोट मिले थे, जबकि गुलाब सिंह को 28435 वोट मिले थे. 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपीने श्याम बिहारी जायसवाल को फिर उम्मीदवार बनाया. जिन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी रमेश सिंह वकील को 11880 वोटों से हरा दिया और दूसरी बार विधायक बने. 2014-15 में वे सभापति पटल पर रखे गए पत्रों का परीक्षण करने संबंधी समिति, सदस्य सामान्य प्रयोजन समिति छत्तीसगढ़ विधानसभा रहें हैं.

गोमती साय
जशपुर जिले की रहने वाली गोमती साय पत्थलगांव विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुई है. इन्होंने आठ बार के कांग्रेस विधायक राम पुकार सिंह को हराया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपीने विष्णुदेव साय का टिकट रायगढ़ से काट कर गोमती साय को उम्मीदवार बनाया था. विष्णुदेव साय की करीबी माने जाने वाली गोमती साय की पहले उनके जिले जशपुर से बाहर कोई खास राजनीतिक पहचान नहीं थी. पर उन्होंने सांसद बन कर क्षेत्र के कई संसदीय मुद्दे उठाए हैं.
पत्थलगांव अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के लिए रिजर्व सीट है.

यहां से कांग्रेस के रामपुकार सिंह आठवीं बार के विधायक है. यहां से बीजेपीको कभी जीत हासिल नहीं हुई है. अब बीजेपीकी गोमती साय ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली है. 8 बार के विधायक कांग्रेस के रामपुकार सिंह ठाकुर को गोमती साय ने 255 वोट से हराया है.

राजेश और रामकुमार की लग सकती हैं लॉटरी
बीजेपी की मौजूदा रणनीति और बतौर प्रयोग कुछ भी संभव है. लिहाज़ा अम्बिकापुर विधानसभा से टीएस सिंहदेव को हराने वाले राजेश अग्रवाल और दिग्गज खाद्य मंत्री अमरजीत भगत को हराने वाले पूर्व सैनिक रामकुमार टोप्पो को अगर साय केबिनेट में जगह मिल जाए तो ये अचरज की बात कही हो सकती है. क्योंकि मध्यप्रदेश, राजस्थान में हुए प्रयोग ने लोगों को केवल चौंकाया नहीं है बल्कि सामंजस्य बनाने की नई चलन की शुरुआत भी हुई है.

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