छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में धान खरीदी की रफ्तार सुस्त है. मध्यांतर तक महज 15 फीसदी धान की खरीदी पूरी हो सकी है. अब जब खरीदी ने रफ्तार पकड़ी है तो उपार्जन केंद्रों की अव्यवस्था किसानों को परेशान कर रही है. एक सीमा तय होने की वजह से अधिकांश किसानों को बिना टोकन के बैरंग लौटना पड़ रहा है. वहीं जो धान बेच रहे हैं उन्हें हमाली का काम करना पड़ रहा है.
अव्यवस्थाओं को लेकर किसानों ने जताई नाराजगी
समर्थन मूल्य पर 1 नवंबर से किए जा रहे धान खरीदी अभियान के दौरान जिले में अव्यवस्थाओं का आलम भी शुरू हो चुका है. मंगलवार को उपार्जन केंद्र बरपाली में टोकन कटाने पहुंचे किसान जहां बैरंग लौटे, वहीं कई किसान हमालों की तरह अपने बेचे गए धान के बारदानों (बोरों) की सिलाई करते नजर आए. जिम्मेदार अधिकारियों के मॉनिटरिंग में ढिलाई की वजह से किसान व्याप्त असुविधाओं से खासे नाराज नजर आए. उपार्जन केंद्र बरपाली में धान बेचने और टोकन कटाने के लिए सैकड़ों किसान नजर आए, लेकिन जर्वे, नवापारा के कुछ किसानों को बिना टोकन काटे ही वापस जाने की बात कही गई.
धान बेचने के लिए किसानों को कटवाना होता है टोकन
जर्वे के किसान राधेलाल हर साल की तरह इस साल भी धान बेचने के लिए पहुंचे. उनके पास करीब 38 क्विंटल धान थी, जिसके लिए उन्हें टोकन कटवाना था, लेकिन उन्हें बैरंग लौटा दिया गया. हालांकि इसके पीछ समिति का कहना था कि समिति की धान खरीद की लिमिट निर्धारित है. उस लिमिट के अंतर्गत ही धान बेचने आए किसानों का टोकन काट सकते हैं उससे अधिक नहीं.
मंगलवार को तय लिमिट के अंतर्गत टोकन कट चुका था, लिहाजा उन्हें दूसरे दिवस आने की बात कही गई. साथ ही उन्होंने समिति में 20 हमालों की व्यवस्था की बात कही, लेकिन उनके इस दावे के उलट उपार्जन केंद्र में ही उनके सामने संडेल के किसान सुरेंद्र जांगड़े, फिरतराम हमालों की तरह अपने बेचे गए धान के बारदानों की सिलाई करते नजर आए. सुरेंद्र 22 क्विंटल तो फिरतराम 37 क्विंटल धान बेचने आए थे. निश्चित तौर पर यह बदइंतजामी किसानों को हतोत्साहित करने वाली साबित हो सकती है.