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10 लाख नौकरियां और 100 अरब डॉलर का निवेश, भारत ने किया बड़ा समझौता

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भारत और चार देशों के यूरोपीय संगठन ईएफटीए (EFTA) ने इनवेस्टमेंट और गुड्स एवं सर्विसेज का व्यापार बढ़ाने के लिए रविवार को फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर साइन कर लिए हैं. फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के तहत ईएफटीए (European Free Trade Association) 15 साल में भारत में लगभग 100 अरब डॉलर का इनवेस्टमेंट करेगा. इससे करीब 10 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी. आइसलैंड, लाइकेस्टाइन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड ईएफटीए के मेंबर हैं. इस समझौते के चलते भारत में यूरोप का सामान सस्ता मिल सकेगा. साथ ही भारतीय प्रोडक्ट भी आसानी से इन देशों में जा सकेंगे.

विकसित देशों के समूह के साथ पहला एग्रीमेंट
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इसे ऐतिहासिक एग्रीमेंट बताया है. उन्होंने कहा कि यह भारत का विकसित देशों के किसी भी समूह के साथ पहला ट्रेड एग्रीमेंट है. इस एग्रीमेंट में 14 चैप्टर हैं. इनमें गुड्स ट्रेड, उत्पत्ति के नियम, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), सर्विसेज ट्रेड, निवेश प्रोत्साहन और सहयोग, सरकारी खरीद, व्यापार में तकनीकी बाधाएं और व्यापार सुविधा शामिल है.

जॉब में होगा इजाफा
ईएफटीए की गाई पार्मेलिन ने कहा कि हमारे चारों देशों को भारत जैसे महत्वपूर्ण बाजार तक पहुंच मिली है. हमारी कंपनियां अब भारत के हिसाब से अपने प्रोडक्ट एवं सर्विसेज विकसित करेंगी. इसके बदले में भारत को ईएफटीए से ज्यादा से ज्यादा विदेशी निवेश मिलेगा. साथ ही अच्छी नौकरियां भी भारत में पैदा होंगी. इस फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से ईएफटीए और भारत दोनों को फायदा होगा.

ईयू का मेंबर नहीं है ईएफटीए
ईएफटीए में शामिल देश यूरोपीय यूनियन (EU) का हिस्सा नहीं हैं. यह फ्री ट्रेड को बढ़ावा देने के लिए बना संगठन है. इसकी स्थापना उन देशों के लिए की गई थी, जो यूरोपीय यूनियन में शामिल नहीं होना चाहते थे. भारत की 27 देशों के संगठन यूरोपीय यूनियन के साथ अलग से एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के लिए बातचीत चल रही है.

क्या फायदे होंगे इस एग्रीमेंट से
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट में शामिल पक्ष सर्विसेज और इनवेस्टमेंट को बढ़ावा देने के लिए नियमों को आसान बनाने के अलावा अधिकतर गुड्स और सर्विसेज पर सीमा शुल्क को काफी कम या समाप्त कर देते हैं. भारत और ईएफटीए आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए जनवरी, 2008 से ही बातचीत कर रहे थे. अक्टूबर, 2023 में वार्ता में तेजी आई और एफटीए को अमलीजामा पहना दिया गया. इससे पहले भारत ने संयुक्त अरब अमीरात तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ एफटीए वार्ता को तेजी से पूरा करने की रणनीति अपनाई थी.

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