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उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों की जनता में सरकार…..भरोसेमंद है मोदी सरकार, हासिल है औसतन 69.36 फीसदी जनता का विश्‍वास…..

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हाल ही में भारतीय प्रबंधन संस्थान की इकाई- अहमदाबाद, कलकत्ता, लखनऊ, इंदौर और रोहतक के प्रोफेसरों द्वारा एक संयुक्त अध्ययन किया गया, जिसमें पिछले 5 वर्षों में भारतीय नागरिकों द्वारा जो परिवर्तन देशभर में महसूस किए गए, उसका गहन विश्लेषण किया गया. इस अध्ययन में सामाजिक-आर्थिक मापदंडों पर विशेष ध्यान रखा गया. इससे प्राप्त निष्कर्ष की मानें तो पूरे देश में भारत सरकार को औसत 69.36% लोगों का भरोसा हासिल है.

इस अध्ययन के जरिए जानने की कोशिश की गई कि इन 5 वर्षों में भारत में व्यक्तियों के जीवन आए बदलावों को रेखांकित किया गया. इसके लिए भारत के 22 क्षेत्रों और राज्यों में डाटा इकट्ठा किया गया था, जिसमें हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, असम, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली-एनसीआर, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और जम्मू और कश्मीर (यूटी) शामिल हैं.

हर तबके का विश्‍वास
किसानों, दिहाड़ी मजदूरों, गृहिणियों से सवाल पूछे गए और 85,326 लोगों का डाटा सैंपल इकट्ठा किया गया, जिसका सावधानीपूर्वक आकलन कर निष्कर्ष निकाला गया. यह रिपोर्ट पिछले पांच वर्षों के दौरान बदलते सामाजिक दृष्टिकोण को उजागर करने का प्रयास करती है. इस अध्ययन के जो नतीजे आए, उसकी मानें तो कुल मिलाकर पूरे देश में भारत सरकार पर औसत भरोसा 69.36% हुआ है. गुजरात और उत्तर प्रदेश में सरकारी सेवाओं पर विश्‍वास उच्चतम स्तर का नजर आ रहा है, जो जनता के विश्‍वास का संकेत है. देशभर में इन 5 सालों के दौरान बिजली कटौती में औसतन 72% की कमी दर्ज की गई है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे विशेष रूप से पानी और बिजली आपूर्ति में सुधार देखा गया.

आशावाद को बढ़ावा
गुजरात और महाराष्ट्र के युवा आशावाद को बढ़ावा देने और नशीली दवाओं की खपत को कम करने में सबसे अव्वल नजर आए. इसमें 66.02% से कुछ अधिक युवा भारत के विकास और प्रगति को लेकर पहले की तुलना में अधिक आशावादी नजर आए. पंजाब, हरियाणा और केरल के किसानों ने बताया कि कृषि आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इस रिपोर्ट की मानें तो केरल, हरियाणा और पंजाब में सबसे अधिक कृषि आय वृद्धि देखी गई, जो क्रमशः 49%, 47% और 45% है.

महिलाओं ने भी सराहा
देश की नारी शक्ति ने भी सरकार के 5 साल के काम को खूब सराहा। 74% महिलाओं ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में उनके बेकार या बीमार दिनों की संख्या में कमी आई है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत बेहतर स्वच्छता से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से उबरने के बेहतर नतीजे सामने आए हैं. डिजिटल जुड़ाव बढ़ा है और मनोरंजन पर खर्च में भी वृद्धि हुई है. कुल मिलाकर, शहरी क्षेत्रों में पिछले पांच वर्षों में प्रतिदिन मोबाइल उपयोग में 200% की वृद्धि देखी गई, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 155.5% है. ये विकास पूरे भारत में हो रहे व्यापक सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों को दर्शाते हैं. दिहाड़ी मजदूरों की आमदनी में भी इन पांच सालों में वृद्धि नजर आ रही है. इसके साथ ही उनको काम करने का मौका भी पहले के मुकाबले ज्यादा मिल रहा है. इस रिपोर्ट के आंकड़ों की मानें तो ऐसे श्रमिकों की कमाई 2019 में प्रतिदिन 300 रुपये से 1200 रुपये के बीच थी, जो अब 2024 में बढ़कर 480 रुपये से 3300 रुपये प्रति दिन हो गई है.

संतुष्टि बढ़ी
कुल मिलाकर सार्वजनिक सेवाओं को लेकर संतुष्टी बढ़ी है और यह 68.59% हो गई है. उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों की जनता में सरकार के प्रति उच्च स्तर के भरोसे नजर आए हैं. रसोई गैस, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल और स्वच्छता तक पहुंच में वृद्धि के कारण देश भर में बचत में वृद्धि प्रतिवर्ष 12,096 रुपये इस रिपोर्ट में बताई गई है. 69.1% लोग जो इस सर्वे का हिस्सा था, उन्होंने बताया कि पिछले पांच वर्षों में सड़क यात्रा में सुधार हुआ है. वहीं, 62.2% लोगों ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में रेल यात्रा में सुधार हुआ है, जबकि 70.7% लोग हवाई यात्रा में सुधार की बात कह रहे हैं. लोगों ने पिछले पांच वर्षों में भारत में आए पांच सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तनों के बारे में बताया, जिसमें स्वच्छता यानी शौचालय तक पहुंच, सड़क यात्रा, सड़कों की गुणवत्ता, रेलवे की गुणवत्ता, बिजली कटौती में सुधार और डिजिटल पहुंच या मोबाइल के साथ डिजिटल सेवाओं का विस्तार शामिल है. इस अध्ययन के जरिए न केवल प्रगति पर प्रकाश डाला गया बल्कि मौजूदा चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया है.

टीम में ये शामिल
इस रिपोर्ट को तैयार करने वाली टीम का नेतृत्व आईआईएम रोहतक के प्रमुख अन्वेषक प्रो. धीरज शर्मा ने किया, उनके साथ प्रो. आनंद कुमार जायसवाल (आईआईएम-अहमदाबाद), प्रो. रजत शर्मा (आईआईएम-अहमदाबाद), प्रो. सरवण जयकुमार एल. (आईआईएम-कलकत्ता), प्रो. प्रेम दीवानी (आईआईएम-लखनऊ), प्रो. सुरेश कुमार जाखड़ (आईआईएम-लखनऊ), और प्रो. सिद्धार्थ के. रस्तोगी (आईआईएम-इंदौर) शामिल थे.

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