अभी तक रेटिंग एजेंसियों, आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक ने ही मुहर लगाई थी, लेकिन अब पूरी दुनिया ने भारत का लोहा मान लिया है. दुनिया के 193 देशों के संगठन संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने भी कह दिया है कि भारत की रफ्तार हमारी सोच से भी ज्यादा है. साल 2024 में भारत की विकास दर पहले लगाए अनुमान से भी आगे निकल जाएगी. इतना ही नहीं UN ने भारत के विकास दर अनुमान को भी बढ़ा दिया है और वह भी एक-दो प्वाइंट नहीं, पूरे 0.7 प्वाइंट बढ़ाए हैं. संयुक्त राष्ट्र ने भारत की विकास दर बढ़ने के पीछे 2 सबसे बड़े कारण बताए हैं. एक तो सरकार की ओर से लगातार बढ़ता निवेश और दूसरा प्राइवेट सेक्टर की खपत.
संयुक्त राष्ट्र ने ‘2024 के मध्य में विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं’ (WESP) शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा है कि 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.9 फीसदी तो 2025 में 6.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ सकती है. इसका मुख्य कारण सरकार के भारी निवेश और निजी खपत बढ़ना है. बाहरी यानी दुनिया की मांग बढ़ने और भारत के निर्यात से ग्रोथ को और तेजी मिलती है. आने वाले समय में फार्मा और केमिकल सेक्टर से निर्यात बढ़ने की बहुत संभावनाएं हैं.
पहले कितना लगाया था अनुमान
संयुक्त राष्ट्र ने जनवरी में 2024 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 6.2 फीसदी लगाया था. तब यूएन को लगा था कि मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में सबसे ज्यादा ग्रोथ दिखेगी. हालांकि, 2025 के लिए यूएन का प्रोजेक्शन पहले की तरह 6.6 फीसदी पर बरकरार है. इसके साथ भारत में महंगाई पर भी काबू पा लिया गया है. 2024 के लिए खुदरा महंगाई दर का अनुमान पहले के 5.6 फीसदी से घटाकर 4.5 फीसदी कर दिया गया है. एशिया में सबसे कम महंगाई दर मालदीव में 2.2 फीसदी और सबसे ज्यादा इरान में 33.6 फीसदी है.
कहां है दुनिया की विकास दर
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि 2024 में वर्ल्ड इकनॉमी की ग्रोथ रेट 2.7 फीसदी रहने का अनुमान है, जो पहले 2.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. इसी तरह, 2025 का अनुमान भी 0.1 फीसदी बढ़ाकर 2.8 फीसदी कर दिया है. इस दौरान अमेरिकी अर्थव्यवस्था के 2024 में 2.3 फीसदी की दर बढ़ने की संभावना है. इसके अलावा चीन की अर्थव्यवस्था भी 2024 में सिर्फ 4.8 फीसदी और 2025 में 5.2 फीसदी की विकास दर हासिल कर सकती है.
मजबूत हो रही भारत की श्रम शक्ति
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि भारत का लेबर मार्केट भी इम्प्रूव कर रहा है और तेज विकास हासिल करने की राह पर है. सरकार भी कैपिटल इनवेस्टमेंट बढ़ा रही और राजकोषीय घाटे को कम करने पर पूरा जोर दे रही है. हालांकि, एनर्जी की बढ़ती कीमत और दुनिया में बढ़ते भूराजनैतिक संकट की वजह से कुछ चुनौतियां भी सामने हैं. लेकिन, कोरोनाकाल के बाद दुनिया की मांग बढ़ रही है. ऐसे में निर्यात करने वाले देशों को इसका फायदा होगा और उनकी विकास दर तेज होगी.