वित्तीय सेवा प्रदाता फर्म मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में पिछले साल परिवारों पर कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 40 फीसदी के हो गया. इससे पता चलता है कि भारतीय अब जमकर कर्ज ले रहे हैं. कुछ लोग समय पर कर्ज नहीं चुका पाते और उनका लोन डिफॉल्ट भी हो जाता है. बहुत से कर्जदारों को बैंक कुल लोन राशि का कुछ हिस्सा एकमुश्त चुकाकर पूरा लोन चुकता करने का विकल्प भी देते हैं. इसे लोन सेटलमेंट कहते हैं. बहुत से लोग इस सुविधा का लाभ यह सोचकर उठा भी लेते हैं कि कम राशि चुकाकर लोन खत्म करने में हर्ज ही क्या है. लेकिन, लोन सेटलमेंट के कुछ नुकसान भी हैं.
यही वजह है कि वित्तीय सलाहकार, लोगों को लोन सेटलमेंट ऑप्शन का इस्तेमाल पानी के पूरी तरह सिर के उपर से गुजर जाने के बाद ही करने की सलाह देते हैं. कर्ज के जाल से बाहर आने का यह तरीका भले ही लुभावना लगे, लेकिन, भविष्य में यह आपके लिए कुछ संकट खड़े कर सकता है. हां, हालत इतने खराब हो जाएं कि लोन सेटलमेंट के अलावा और कोई चारा ही न हो तो इस विकल्प को चुनते वक्त पूरी तरह सावधान और सतर्क रहना चाहिए.
कैसे किया जाता है लोन सेटलमेंट
कर्ज सेटलमेंट के लिए ग्राहक बैंक या कर्ज देने वाली संस्था से संपर्क कर सकता है. कई मामलों में बैंक खुद लोन सेटलमेंट का प्रस्ताव ग्राहक को देता है. बैंक आमतौर पर लंबे समय से डूबे कर्ज के कुछ हिस्से की रिकवरी के लिए लोन सेटलमेंट ऑफर करता है. इसके लिए बाकायदा कागजी कार्रवाई की जाती है.
क्या है नुकसान
कर्जदार सेटलमेंट कराने के बाद आगे जाकर होने वाले नुकसान की अक्सर अनदेखी कर देता है. बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐंड्रोमेडा सेल्स ऐंड डिस्ट्रीब्यूशन में को-सीईओ राउल कपूर का कहना है कि इस तरह कर्ज खत्म करने से एक बार तो राहत मिल जाती है मगर आपका क्रेडिट स्कोर इससे बहुत खराब हो सकता है. इससे आपको आगे कर्ज लेने में बहुत दिक्कत आएगी या लोन बहुत ऊंची ब्याज दर पर मिलेगा.कर्ज सेटल करना अच्छी बात नहीं है मगर कर ही रहे हैं तो शर्तें आपके मनमुताबिक ही होनी चाहिए. लोन सेटलमेंट समझौता अगर आप कर रहे हैं तो लिखित समझौता अपने हाथ में आने के बाद ही रकम देनी चाहिए. साथ ही बैंक के साथ अच्छी तरह से मोल-भाव करके कर्ज की रकम कम से कम चुकाने का प्रयास करें.