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4 जून के आरोप पर BSE की सफाई, हमारे सिस्टम में नहीं था ‘टेक्निकल लोचा’, बैंकों की लेटलतीफी से नुकसान

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देश के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज बीएसई ने कहा कि बैंकों से भुगतान मिलने में देरी के कारण 4 जून को म्यूचुअल फंड खरीदने वाले निवेशकों को एनएवी आवंटित करने में देरी हुई थी. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने साफ किया कि इस मामले में उसकी तरफ से कोई भी तकनीकी गड़बड़ी नहीं हुई थी. कई निवेशकों ने सोशल मीडिया पर शिकायत की थी कि उन्हें चार जून को अपनी ‘पोजिशन’ को ‘स्क्वेयर ऑफ’ करने में परेशानी का सामना करना पड़ा था. कई निवेशकों ने कट-ऑफ समय से पहले अपने म्यूचुअल फंड खरीदे थे लेकिन उन्हें जो ‘नेट एसेट वैल्यू’ (NAV) सौंपा गया, वह 4 जून के बजाय पांच जून के लिए फंड का मूल्य निर्धारित करता है. इसकी वजह से ऐसे निवेशकों को बड़े पैमाने पर वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ा.

इस पर बीएसई ने एक बयान में कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि चार जून को बीएसई क्लियरिंग हाउस (आईसीसीएल) में कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं हुई थी. पहली नजर में यही लगता है कि कुछ ग्राहकों के लिए भुगतान एग्रीगेटर/ बैंक से क्रेडिट/ भुगतान का विवरण पाने में देरी हुई, जिससे एनएवी आवंटन में देरी हुई.’’

ब्रोकिंग फर्म ने लगाए थे आरोप
कई ब्रोकिंग फर्मों ने चार जून को बीएसई के म्यूचुअल फंड आवंटन प्रणाली में गड़बड़ी का आरोप लगाया था. इस कारण ऑर्डर अगले दिन (पांच जून) को जारी हुए लेकिन उस समय तक इक्विटी बाजारों ने अपने नुकसान की कुछ हद तक भरपाई कर ली थी.

लोकसभा चुनाव के नतीजों के दिन चार जून को शेयर बाजार में भारी गिरावट आई थी जिसमें निवेशकों की 31 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति डूब गई. भाजपा को अपने दम पर स्पष्ट बहुमत न मिलने से सेंसेक्स 4,390 अंक यानी छह प्रतिशत की गिरावट के साथ 72,079 अंक पर बंद हुआ था. यह चार साल में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट थी.

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