Home देश अभी कम नहीं होगी EMI, एफडी पर मिलता रहेगा ज्यादा ब्याज, रेपो...

अभी कम नहीं होगी EMI, एफडी पर मिलता रहेगा ज्यादा ब्याज, रेपो रेट में बदलाव नहीं

30
0

वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट से पहले आरबीआई की बहुप्रतीक्षित मौद्रिक नीति समिति बैठक आज समाप्त हो गई. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक समाप्त होने के बाद बताया कि समिति ने एक बार फिर से मुख्य नीतिगत दर यानी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है.

रेपो रेट 16 महीने से इस स्तर पर स्थिर
इसका मतलब हुआ कि रेपो रेट अभी भी 6.5 फीसदी पर स्थिर रहने वाली है. यह रिजर्व बैंक की ताकतवर मौद्रिक नीति समिति की लगाातर 8वीं बैठक है, जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. सेंट्रल बैंक की एमपीसी ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेपो रेट में बदलाव किया था और तब उसे बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया था. यानी 16 महीने से रेपो रेट एक ही स्तर पर स्थिर है.

अभी नहीं मिलेगा सस्ते लोन का लाभ
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के ऐलान से उन लोगों को निराशा हाथ लगी है, जो ब्याज दरों में कमी की उम्मीद कर रहे थे. रेपो रेट में बदलाव नहीं होने से लोगों के ईएमआई के बोझ में भी कोई बदलाव नहीं होने वाला है. वहीं दूसरी ओर यह ऐलान वैसे निवेशकों के लिए अच्छी खबर है, जो एफडी में पैसे लगाना पसंद करते हैं. ज्यादा रेपो रेट के बने रहने का मतलब है कि एफडी पर अभी ज्यादा ब्याज का लाभ मिलता रहेगा.

क्या है रेपो और रिवर्स रेपो रेट?
रेपो रेट उस ब्याज दर को कहते हैं, जिसके आधार पर आरबीआई से बैंकों को पैसे मिलते हैं. इस कारण जब भी रेपो रेट में बदलाव होता है, पर्सनल लोन से लेकर कार लोन और होम लोन तक की ब्याज दरें बदल जाती हैं. रेपो रेट में कमी से लोन का ब्याज कम हो जाता है, जबकि रेपो रेट बढ़ने से लोन महंगे हो जाते हैं. इसी तरह रिजर्व बैंक अपने पास जमा पैसे पर जिस दर के हिसाब से बैंकों को रिटर्न में ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है.

रेपो रेट स्थिर रखने पर इतने सदस्य सहमत
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज शुक्रवार को बैठक के बाद कहा- मौद्रिक नीति समिति ने वृहद आर्थिक परिस्थितियों की समीक्षा करने के बाद बहुमत से रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया है. एमपीसी के 6 सदस्यों में से 4 ने रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है. समिति ने रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखने का फैसला लिया है.

महंगाई से बनी हुई है आरबीआई की चिंता
इससे पहले अप्रैल महीने में चालू वित्त वर्ष के दौरान रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक हुई थी. एमपीसी ने उस बैठक में भी महंगाई का हवाला देकर रेपो रेट में बदलाव नहीं किया था. दरअसल रिजर्व बैंक खुदरा महंगाई को 4 फीसदी से नीचे लाना चाहता है. पिछले महीने खुदरा महंगाई कम होकर 11 महीने के निचले स्तर पर तो आ गई, लेकिन अभी भी वह 4.83 फीसदी के साथ आरबीआई के लक्ष्य से ठीक-ठाक ऊपर है. खाने-पीने की चीजों की महंगाई खास तौर पर परेशान कर रही है, जिसकी दर मई महीने में चार महीने के उच्च स्तर 8.7 फीसदी पर पहुंच गई.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here