करीब 240 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ रहे दो विमान अचानक एक ही रन-वे पर आ गए. दोनों विमान आपस में टकराते, इससे पहले एक विमान हवा में उड़ान भर गया और चंद सेकेंड के फासले से सैकड़ों मुसाफिरों की जिंदगी बच गई. यह घटना मुंबई एयरपोर्ट पर शनिवार सुबह करीब छह बजे की है. इस घटना के संज्ञान में आने के बाद डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है.
सूत्रों के अनुसार, डीजीसीए की यह जांच में तीन पहलुओं पर आधारित है. पहला- एयर इंडिया के पायलट ने टेकऑफ में देरी की. दूसरा – इंडिगो के पायलट ने लैंडिंग में जल्दबाजी की. तीसरा- एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से दोनों फ्लाइट के बीच लैंडिंग-टेकऑफ के समयांतराल की गणना करने में चूक हो गई. अब इन तीनों में असल चूक किससे हुई, इसका सच डीजीसीए की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ही हो सकेगा. फिलहाल, डीजीसीए ने दोनों पायलट और एटीसी के बीच हुए संवाद को अपने कब्जे में ले लिया है.
एक ही रन-वे पर दो विमानों का आना सही या गलत?
एविएशन एक्सपर्ट के अनुसार, एक ही रन-वे से विमानों की लैंडिंग और टेकऑफ कराना एक सामान्य प्रैक्टिस है. हां, सुरक्षा के मद्देनजर एटीसी दोनों विमानों के बीच समुचित समयारांत रखता है. मुंबई एयरपोर्ट सहित दुनिया के सभी व्यस्त एयरपोर्ट पर यह प्रैक्टिस है कि जैसे ही एक विमान के टायर रन-वे को छोड़ते हैं, उसके चंद सेकेंड बाद, लैंडिेग करने वाला एयरक्राफ्ट रन-वे पर टचडाउन करता है. मुंबई एयरपोर्ट पर टेकऑफ और लैंडिंग के बीच का यह समयांतराल करीब 40 से 45 सेकेंड का है. यानी हर 45 सेकेंड में एक एयरक्राफ्ट टेकऑफ करता है और दूसरा एयरक्राफ्ट लैंड करता है.
रोजाना करीब 900 विमानों का होता है आवागमन
अप्रैल 2024 के आंकड़ों की बात करें तो मुंबई एयरपोर्ट एक महीने में कुल 26870 विमानों का आवागमन हुआ् इनमें 6978 अंतरराष्ट्रीय और 19892 घरेलू विमान शामिल हैं. इन 26870 विमानों के आवागमन में अनशेड्यूल्ड और कार्गो विमानों का आवागमन शामिल नहीं है. इस लिहाज, से मुंबई एयरपोर्ट से रोजाना करीब 896 पैसेंजर एयरक्राफ्ट का आवागमन होता है और दोनों विमानों के टेकऑफ और लैंडिंग के बीच का अंतर करीब 45 से 50 सेकेंड का आता है. ऐसे स्थित में लैंडिंग और टेकऑफ कर रहे विमानों के बीच सही दूरी रहे, इसकी प्राथमिक जिम्मेदारी एयर ट्रैफिक कंट्रोल की होती है.