प्रधानमंत्री समेत 72 सदस्यीय मंत्रिमंडल शपथ ग्रहण कर चुका है. वैसे मोदी सरकार में अभी 15 फीसदी पद खाली हैं. संविधान के अनुसार मंत्रिमंडल में जितने अधिकतम सदस्य होने चाहिए, ये उससे अभी छोटा है. जब संविधान बना था तब तो केंद्र से लेकर राज्य तक के मंत्रिमंडल की साइज को लेकर कोई प्रावधान नहीं था लेकिन बाद में इसकी व्यवस्था की गई. जानते हैं कि ये प्रावधान क्या है और इसके अनुसार इस सरकार में अभी कितने मंत्री और शामिल हो सकते हैं.
देश में संविधान में मंत्रिमंडल के आकार प्रकार को लेकर एक व्यवस्था की गई है. पहले संविधान में ऐसा प्रावधान नहीं था लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते एनडीए की सरकार में इस संबंध में एक संशोधन विधेयक लाया गया. जिसके पास होने के बाद अब केंद्र से लेकर राज्य तक की सरकारों में मंत्रिमंडल के नंबर्स की अधिकतम संख्या तय हो गई है.इसी तरह मनमोहन सिंह की अगुवाई वाले यूपीए में वर्ष 2004 में जब उन्होंने सरकार बनाई तो मंत्रियों की संख्या 50 थी. इसी तरह 2009 में यूपीए2 वाली सरकार में भी हुआ. हालांकि बाद में विस्तार के बाद ये संख्या 78 तक गई. पीवी नरसिंहराव सरकार ने जब 21 जून 1991 को शपथ ली तब उनका मंत्रिमंडल छोटा था. ज्यादातर विभाग उन्हीं के पास थे लेकिन उन्होंने इसे कई बार विस्तार दिया. फरवरी 1994 जब उन्होंने मंत्रिमंडल का विस्तार किया तो इसकी साइज 70 मंत्रियों की हो गई, जिसमें वह भी शामिल थे.