दिल्ली-एनसीआर की प्रमुख रियल एस्टेट डेवलपरों में एक सुपरटेक रियल्टर्स को एनसीएलटी से झटका लगा है. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने सुपरटेक रियल्टर्स के खिलाफ इनसॉल्वेंसी की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है.
भारी पड़ा 168 करोड़ रुपये का डिफॉल्ट
एनसीएलटी की दो सदस्यों वाली दिल्ली बेंच ने यह फैसला सुनाया है. एनसीएलटी ने इस मामले में अंजु अग्रवाल को अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल नियुक्त किया है. एनसीएलटी की दिल्ली बेंच डिफॉल्ट के एक मामले की सुनवाई कर रही थी. बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने 168.04 करोड़ रुपये के एक डिफॉल्ट को लेकर सुपरटेक रियल्टर्स के खिलाफ एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया था.
सुपरनोवा प्रोजेक्ट से चर्चा में आई कंपनी
सुपरटेक रियल्टर्स रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक की सब्सिडियरी है. सुपरटेक रियल्टर्स को सुपरनोवा प्रोजेक्ट से खासी चर्चा मिली है. कंपनी सुपरनोवा प्रोजेक्ट में रेसिडेंशियल अपार्टमेंट, ऑफिस व रिटेल स्पेस और लग्जरी होटल डेवलप कर रही है. सुपरटेक के खिलाफ पहले से एक कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस भी चल रहा है.
बनने वाला था दिल्ली-एनसीआर में ये रिकॉर्ड
सुपरनोवा प्रोजेक्ट नोएडा के सेक्टर-94 में स्थित है. इस प्रोजेक्ट को 2,326.14 करोड़ रुपये की लागत से 70 हजार वर्गमीटर से ज्यादा क्षेत्र में डेवलप किया जा रहा है. योजना के हिसाब से सुपरनोवा प्रोजेक्ट में 80 मंजिलें होंगी और उसकी ऊंचाई 300 मीटर होगी. तैयार होने के बाद सुपरनोवा प्रोजेक्ट के नाम दिल्ली-एनसीआर की सबसे ऊंची इमारत होने का खिताब दर्ज हो जाएगा.
अधर में लटका सुपरनोवा का भविष्य
हालांकि अब सुपरनोवा प्रोजेक्ट का भविष्य अधर में लटक गया है. सुपरटेक रियल्टर्स ने सुपरनोवा प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की अगुवाई वाले बैंकों के एक समूह से 735 करोड़ रुपये का कर्ज मांगा था. उसके अलावा कंपनी ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र से 150 करोड़ रुपये के लोन का अनुरोध किया था, जिसे टर्म लोन के रूप में दिसंबर 2012 में बैंक ने मंजूर कर दिया था. कंपनी को मार्च 2023 तक 10 साल 4 महीने में लोन का भुगतान करना था, लेकिन उसने डिफॉल्ट कर दिया.