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राजनांदगांव : एप में हेल्थ हिस्ट्री भी स्टोर होगी. जिला अस्पताल में हेल्प के लिए काउंटर बनाया गया, मरीज का एक कार्ड बनाया जाएगा

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एप में हेल्थ हिस्ट्री भी स्टोर होगी. जिला अस्पताल में हेल्प के लिए काउंटर बनाया गया, मरीज का एक कार्ड बनाया जाएगा

जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ओपीडी पर्ची बनाने अब पंजीयन काउंटर में लाइन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मोबाइल पर एक एप आभा के माध्यम से मरीजों का पंजीयन किया जाएगा जिसमें मरीजों की हेल्थ हिस्ट्री भी स्टोर होती रहेगी। इन दोनों अस्पताल में मरीज और मरीजों की हेल्प के लिए अलग से काउंटर भी बनाया गया है। मरीज इस एप से पर्ची बना कर डॉक्टरों से जांच और इलाज करा सकते हैं।

अस्पताल में इस तरह की नई व्यवस्था लागू की गई है। मरीज या परिजन घर बैठे ही मोबाइल एप (आभा) के माध्यम अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं या इस एप के क्यू आर कोड का इस्तेमाल कर सकते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा एक मोबाइल एप (आभा) तैयार किया है जिसका उपयोग कर मरीज या परिजन ओपीडी पर्ची बनाने रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।

इस एप में मरीज का एक आभा कार्ड बनेगा जिसमें यूजर्स को एक 14 डिजिट का कार्ड भी मिलेगा, जिसमें मरीज के हेल्थ से संबधित डाइग्नोस्टिक व दवा की पूरी जानकारी रहेगी। इसका एक और फायदा यह है कि कहीं पर भी किसी भी डॉक्टर द्वारा मरीज की पूरी हेल्थ हिस्ट्री जानने में कोई दिक्कत नहीं होगी। एप का उपयोग करने किया जा रहा प्रोत्साहितः जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों का इसका उपयोग करने प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए अलग काउंटर बनाया गया है जहां स्टाफ के द्वारा मरीजों को इस एप के उपयोग की जानकारी दी जाती है। आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत एप का यूज करने जोर दे रहें है। यूजर्स को स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। पंजीयन के लिए मरीज या परिजन को एप या जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज के एप का क्यू आर कोड का इस्तेमाल करना होगा।

एप से ओपीडी पर्ची बनाने अस्पतालों को दिया लक्ष्य अस्पतालों को इस एप के माध्यम से ओपीडी की संख्या बढ़ाने का लक्ष्य दिया गया है। प्रतिदिन आने वाले मरीजों 40 प्रतिशत का इसी एप से ओपीडी पर्ची बनानी है। वर्तमान में यहां 30 फीसदी मरीजों की एप से पर्ची बन रही है। अब तक 750 से ज्यादा पर्ची इसी एप से बनी। स्टाफ को इस एप का उपयोग करने और दूसरों को भी एप का उपयोग सीखने प्रोत्साहित करने कहा गया है। एप में प्रोसेस करने के बाद केवल प्रिंट लेना होगा और स्टाफ द्वारा मरीज को उसी बीमारी अनुसार इलाज करने वाले डॉक्टर का नाम एवं रूम नंबर दिया जाएगा।

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