अंतरराष्ट्रीय निवेश प्रवास सलाहकार फर्म हेनले एंड पार्टनर्स की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस साल तक 4,300 करोड़पति भारत की नागरिकता छोड़ सकते हैं. हेनले प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत दुनिया भर में हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल (HNWI) के देश छोड़ने के मामले में शीर्ष देशों की सूची में शामिल है. आंकड़ों को देखें तो 2023 में 51,000 करोड़पतियों ने देश छोड़ा था.
रिपोर्ट में करोड़पतियों द्वारा देश छोड़ने के कई कारणों पर प्रकाश डाला गया है. इसमें दूसरे देशों में बेहतर सुरक्षा, फाइनेंसियल फ्रीडम, टैक्स बेनिफिट, रिटायरमेंट पॉलिसी, व्यावसायिक अवसर, अनुकूल जीवनशैली, बच्चों के लिए शिक्षा के अवसर, स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग शामिल हैं. लंदन में इंस्टीट्यूट फॉर गवर्नमेंट की निदेशक और सीईओ डॉ. हाना व्हाइट ओबीई का मानना है कि करोड़पतियों को देश में बनाए रखने से आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता आती है.
यूएई बना पसंदीदा डेस्टिनेशन
भारत की नागरिकता छोड़ने वाले ज्यादातर लोग यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) की नागरिकता ले रहे हैं. 2024 में यूएई में भारत से रिकॉर्ड 6,700 अमीर प्रवासियों के आने की उम्मीद जताई गई है. यूएई की शून्य आयकर नीति, शानदार जीवनशैली, रणनीतिक स्थान और गोल्ड वीजा जैसी कई योजनाएं बड़ी तादाद में भारतीय करोड़पतियों को आकर्षित कर रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक, यूएई के वेल्थ मैनेजमेंट इकोसिस्टम और विकास अभूतपूर्व है. पांच साल से भी कम समय में, यूएई ने एक मजबूत नियामक ढांचा पेश किया है जो धनी लोगों को उनकी संपत्ति की रक्षा, संरक्षण और वृद्धि के लिए कई तरह की सुविधाएं पेश कर रहा है. यूएई के अलावा भारत के करोड़पति अमेरिका, सिंगापुर, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता लेना भी पसंद कर रहे हैं.
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि इन देशों में धनी व्यक्तियों के आने से आर्थिक रूप से लाभ मिलने की संभावना है, जो निवेश, व्यवसायिक स्टार्टअप और रोजगार को बढ़ाने के माध्यम से योगदान करते हैं.
भारत को क्या है नुकसान?
करोड़पतियों के जाने से उनके देश पर आर्थिक और सामाजिक रूप से असर पड़ता है. करोड़पति अक्सर अपने साथ पर्याप्त पूंजी लेकर आते हैं, जो मेजबान देश के लिए विदेशी मुद्रा राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. कई प्रवासी करोड़पति उद्यमी होते हैं जो अपने नए देशों में नए व्यवसाय स्थापित करते हैं और नौकरियां पैदा करते हैं. न्यू वर्ल्ड वेल्थ के एंड्रयू एमोइल्स के अनुसार, इन करोड़पतियों में से लगभग 20% कंपनी के संस्थापक हैं.
इतने बड़े स्तर पर माइग्रेशन के बावजूद, रिपोर्ट बताती है कि भारत की संपत्ति में पिछले एक दशक में 85% की वृद्धि हुई है. भारत में नए करोड़पति लगातार बन रहे हैं, जो संभावित रूप से इस घाटे की भरपाई कर देंगे.