शेयर मार्केट में छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिए बाजार नियामक सेबी यानी सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया हमेशा बड़े फैसले लेती है. इसी कड़ी में छोटे निवेशकों की मार्केट में भागीदारी बढ़ाने के लिए बाजार नियामक सेबी ने बेसिक सर्विस वाले डीमैट अकाउंट की लिमिट को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी है. सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने एक सर्कुलर में कहा कि नए दिशानिर्देश एक सितंबर से लागू होंगे. बेसिक सर्विस वाले डीमैट खाते (BSDA) में रखी गई प्रतिभूतियों के मूल्य की सीमा बढ़ाने से छोटे निवेशक शेयर बाजार में कारोबार के लिए प्रोत्साहित होंगे और उनका वित्तीय समावेशन सुनिश्चित होगा.
बीएसडीए नियमित डीमैट खाते का अधिक बुनियादी संस्करण होता है. छोटे पोर्टफोलियो वाले निवेशकों पर डीमैट शुल्क का बोझ कम करने के लिए बाजार नियामक सेबी ने 2012 में बीएसडीए सुविधा शुरू की थी.
BSDA अकाउंट से जुड़ी शर्तें
सेबी ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति एकमात्र या प्रथम धारक के रूप में केवल एक डीमैट खाता रखता है, सभी डिपॉजिटरी में उसके नाम पर केवल एक खाता है और उस खाते में रखी प्रतिभूतियों का मूल्य किसी भी समय 10 लाख रुपये से अधिक नहीं है तो वह बीएसडीए खाता रखने के लिए पात्र है.
इस बदलाव से पहले बीएसडीए के लिए पात्र होने के लिए एक ही डीमैट खाते में दो लाख रुपये तक की ऋण प्रतिभूतियों और दो लाख रुपये तक की गैर-ऋण प्रतिभूतियों को रखने की अनुमति थी. सेबी ने कहा कि चार लाख रुपये तक के पोर्टफोलियो मूल्य होने पर बीडीएसए के लिए कोई वार्षिक रखरखाव शुल्क नहीं लगेगा जबकि चार लाख रुपये से अधिक और 10 लाख रुपये तक के पोर्टफोलियो मूल्य होने पर शुल्क 100 रुपये लगेगा.
हालांकि, पोर्टफोलियो मूल्य 10 लाख रुपये से अधिक होने पर बीडीएसए को अपने-आप ही नियमित डीमैट खाते में परिवर्तित कर दिया जाना चाहिए. नियामक ने कहा कि बीडीएसए खाताधारकों को इलेक्ट्रॉनिक विवरण मुफ्त में दिए जाएंगे. इसके साथ 25 रुपये देकर भौतिक खाता विवरण लिया जा सकता है.