अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस समय सुर्खियों में बने हुए हैं. इस बीच पिछले हफ़्ते हुए पार्टी अधिवेशन से उत्साहित ट्रंप के वफ़ादार डेमोक्रेटिक पार्टी में अव्यवस्था के बीच 400 इलेक्टोरल वोटों के आस-पास या उससे ज़्यादा की भारी जीत की बात कर रहे हैं. पीएम मोदी की भाषा में कहें तो, “अब की बार 400 पार” का नारा लगा रहे हैं.
व्हाइट हाउस पर कब्ज़ा करने के लिए 50 राज्यों में फैले 538 में से 270 इलेक्टोरल वोट की ज़रूरत है – डेमोक्रेट और रिपब्लिकन लगभग 20-20 राज्यों को हल्के में लेते हैं, जिससे सिर्फ़ 10 “टॉस-अप” राज्य बचते हैं जो किसी भी तरफ़ जा सकते हैं. प्रत्येक राज्य में लोकप्रिय वोट जीतने वाली पार्टी (किसी भी अंतर से) आम तौर पर राज्य के सभी इलेक्टोरल वोट लेती है, जो कांग्रेस में प्रतिनिधियों की संख्या (जनसंख्या के अनुसार अलग-अलग होती है) और सीनेटरों (जनसंख्या की परवाह किए बिना हमेशा प्रति राज्य दो) के बराबर होती है.
कहां चुनौती?
इस प्रकार, सबसे अधिक आबादी वाले राज्य कैलिफोर्निया के पास 54 इलेक्टोरल वोट हैं (इसमें 52 प्रतिनिधि और दो सीनेटर हैं) और सबसे कम आबादी वाले व्योमिंग के पास केवल तीन इलेक्टोरल वोट हैं (इसमें एक प्रतिनिधि और दो सीनेटर हैं). कैलिफोर्निया ने आखिरी बार रीगन युग में रिपब्लिकन को वोट दिया था, लेकिन 1992 में बिल क्लिंटन द्वारा इसे पलट देने के बाद, यह डेमोक्रेटिक गढ़ बन गया है और इसमें बदलाव की उम्मीद नहीं है.
वर्तमान सर्वेक्षणों से संकेत मिलता है कि ट्रंप के नेतृत्व में रिपब्लिकन 251 इलेक्टोरल वोट जीतने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, तथा 270 तक पहुंचने के लिए उन्हें लगभग आधा दर्जन राज्यों में से केवल 19 वोटों की आवश्यकता है, जिनमें से दस राज्यों में परिवर्तन हो सकता है. वे ऐसा पेंसिल्वेनिया (19 इलेक्टोरल वोट) या किसी भी दो अन्य राज्यों, जैसे मिशिगन (15) और नेवादा (6); या एरिजोना (11) और विस्कॉन्सिन (10); या मिशिगन और विस्कॉन्सिन के संयोजन से कर सकते हैं. कम से कम पांच संयोजन हैं जो ट्रंप को 270 से अधिक वोट दिला सकते हैं.