हाई रिस्क होने के बावजूद शेयर मार्केट में इन्वेस्टर्स का रुझान फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग (F&O Trading) की ओर लगातार बढ़ रहा है. इसको लेकर अब सरकार की ओर से निवेशकों को चेताया जा रहा है. सोमवार को पेश इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey 2023-24) में रिटेल इन्वेस्टर्स द्वारा शेयर बाजार में बढ़ते फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग पर कड़ी आलोचना की गई है. इसमें यहां तक कहा गया है कि इस तरह के स्पेकुलेटिव ट्रेडिंग का भारत जैसे विकासशील देश में कोई जगह नहीं है.
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसने चेतावनी दी गई है कि शेयर बाजारों में किसी भी संभावित गिरावट से निवेशक ठगा हुआ महसूस कर सकते हैं और उन्हें लंबे समय तक कैपिटल मार्केट में लौटने से रोक सकते हैं जो पूरी इकोनॉमी के लिए हानिकारक हो सकता है.
डेरिवेटिव ट्रेडिंग से ज्यादातर निवेशकों को होता है नुकसान
सर्वे में कहा गया है कि डेरिवेटिव ट्रेडिंग, बहुत ज्यादा फायदा की संभावना के साथ अक्सर जुआ खेलने की मानवीय प्रवृत्ति को आकर्षित करती है. इस डायनेमिक ने डेरिवेटिव ट्रेडिंग में महत्वपूर्ण रिटेल पार्टिसिपेशन को प्रेरित किया है. हालांकि, डेरिवेटिव ट्रेडिंग की वास्तविकता इसके बिल्कुल अलग है.सर्वे में कहा गया है, “वैश्विक स्तर पर डेरिवेटिव ट्रेडिंग से ज्यादातर निवेशकों का पैसा बर्बाद होता है. त्वरित लाभ का आकर्षण भ्रामक हो सकता है, क्योंकि डेरिवेटिव मार्केट्स में अधिकांश प्रतिभागियों को नुकसान का सामना करना पड़ता है.”
F&O ट्रेडिंग पर सेबी चिंतित
हाल ही में मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने कहा था कि फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग मैक्रो-इकोनॉमिक स्तर की समस्या बनता जा रहा है. उनका कहना था कि अब यह एक माइक्रोइकोनॉमिक समस्या नहीं बल्कि, मैक्रोइकोनॉमिक समस्या बन चुकी है और संभावित तौर पर आर्थिक ग्रोथ पर इसका असर पड़ रहा है.
10 में से 9 निवेशकों को हो रहा है नुकसान
पिछले साल जून में सेबी की एक स्टडी में बताया गया था कि फ्यूचर एंड ऑप्शन सेगमेंट में पैसा लगाने वाले 10 में से 9 निवेशकों को घाटा हो रहा है.