पटना: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को सोमवार को बड़ा झटका देते हुए, वंचित वर्ग के लिए आरक्षण 50% से बढ़ाकर 65% करने के फैसले पर रोक बरकरार रखी है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सितंबर में विस्तृत सुनवाई करेगा। बिहार सरकार ने एससी/एसटी, ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण 50% से बढ़ाकर 65% करने का फैसला लिया था।
इस फैसले को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताते हुए रोक लगा दी थी। बिहार सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक हटाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है और सितंबर में इस पर विस्तृत सुनवाई होगी।
9 नवंबर 2023 को बनाया गया था कानून
दरअसल, बिहार सरकार 50% आरक्षण को बढ़ाकर 65% करना चाहती थी, लेकिन पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। बिहार सरकार ने 9 नवंबर 2023 को कानून पास किया था कि सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण 65% होगा। यह फैसला पिछले साल हुई जातीय जनगणना के बाद लिया गया था। इसके तहत OBC, अति पिछड़ा वर्ग, दलित और आदिवासियों को आरक्षण का फायदा मिलना था।
लेकिन पटना हाईकोर्ट ने सरकार के इस फैसले को रद्द कर दिया। अब बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जाए। सरकार का कहना है कि अगर रोक नहीं लगी तो भर्ती प्रक्रिया पर असर पड़ेगा। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट का यह निष्कर्ष कि जाति सर्वेक्षण के आंकड़ों के आधार पर पिछड़े वर्गों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है, ये राज्य के विवेक का हनन है।