माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के कर्नाटक प्राधिकरण ने दिग्गज सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनी इन्फोसिस को भेजा गया लगभग 32,400 करोड़ रुपये की मांग का कारण बताओ नोटिस वापस ले लिया है. इसके साथ ही कर्नाटक प्राधिकरण ने आईटी कंपनी को निर्देश दिया है कि वह इस मसले पर जीएसटी आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई) के केंद्रीय प्राधिकरण को एक नया जवाब दे. डीजीजीआई जीएसटी, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर के उल्लंघन से संबंधित मामलों के लिए शीर्ष आसूचना एवं जांच एजेंसी है. इसे अप्रत्यक्ष कर कानूनों के अनुपालन में सुधार करने का कार्य सौंपा गया है.
इन्फोसिस ने बीएसई को गुरुवार शाम को दी सूचना में कहा था कि अधिकारियों ने उसे भेजे गए कारण बताओ नोटिस को वापस लेने और कंपनी को इस मामले पर डीजीजीआई केंद्रीय प्राधिकरण को एक और जवाब देने का निर्देश दिया है. देश की दूसरी बड़ी आईटी कंपनी बुधवार को उस समय सुर्खियों में आ गई थी जब जीएसटी अधिकारियों ने कंपनी को 2017 से शुरू होने वाले पांच वर्षों के लिए अपनी विदेशी शाखाओं से मिली सेवाओं पर 32,403 करोड़ रुपये का नोटिस दिया.
हालांकि, इन्फोसिस ने इसे पूर्व-कारण बताओ नोटिस बताते हुए कहा था कि संबंधित मामले में उसकी जीएसटी देनदारी नहीं बनती है. सॉफ्टवेयर कंपनियों के राष्ट्रीय संगठन नैसकॉम ने भी गुरुवार को इन्फोसिस के पक्ष में बयान देते हुए कहा था कि यह नोटिस उद्योग के परिचालन मॉडल से जुड़ी समझ की कमी को दर्शाता है. एसकेआई कैपिटल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी नरिंदर वाधवा ने कहा कि बाजार की स्थिरता और निवेशकों का विश्वास बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय जोखिम वाली कंपनियों के खिलाफ मामलों को आगे बढ़ाने से पहले पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए और स्पष्ट सबूत होने चाहिए.
उन्होंने कहा कि जीएसटी विभाग को बड़ी और प्रतिष्ठित कंपनियों, खासकर इन्फोसिस जैसी कंपनियों के खिलाफ नोटिस जारी करते समय सावधान रहना चाहिए, जिनका व्यवसाय काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय है. उन्होंने कहा कि आरोप और प्रतिष्ठा को नुकसान इन कंपनियों के व्यावसायिक संचालन और बाजार की स्थिति को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है.