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बजट में सरकार ने बदला टैक्‍स का नियम, अब आयकर विभाग भेजेगा धड़ाधड़ नोटिस

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इनकम टैक्‍स रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा खत्‍म हो चुकी है. अब अगले एक महीने में धड़ाधड़ इनकम टैक्‍स नोटिस आ सकते हैं. ऐसा होगा सरकार द्वारा टैक्‍स के संबंध में बदला गया एक नियम. बजट में घोषित संशोधित नियमों के मुताबिक, आयकरदाता द्वारा छिपाई गई रकम अगर 50 लाख रुपये से अधिक है तो टैक्स अधिकारी टैक्सपेयर्स का पांच साल पुराना रिकार्ड ही दोबारा चेक कर सकते हैं. अब तक यह अवधि दस साल थी. इसी तरह अगर छिपाई गई रकम ₹50 लाख से कम है तो टैक्स अधिकारी केवल तीन साल पुराने मामले को ही खंगाल सकते हैं. नए नियम सितंबर से लागू होंगे.आशंका जताई जा रही है कि रिएसेसमेंट के नए नियमों के चलते कई लोग टैक्स दायरे से बाहर हो सकते हैं. इसीलिए अब पुराने मामलों में टैक्‍स नोटिस भेजने के लिए टैक्‍स अधिकारियों के पास बस 31 अगस्‍त तक का समय है.

आयकर विभाग आमतौर पर मार्च के आसपास पिछले वर्ष के लिए रिएसेसमेंट नोटिस भेजता रहा है. लेकिन अब बजट में रिएसेसमेंट की अधिकतम अवधि को घटाकर पांच वर्ष कर दिया गया है. इसलिए अब उन्हें अगले कुछ हफ्तों में वित्तीय वर्ष 2013-14 से 2017-18 के लिए टैक्स और इनकम मिसमैच का डेटा खंगालना होगा और अनियमितता मिलने पर 31 अगस्‍त तक हर हाल में नोटिस भेजने होंगे. अगर वे ऐसा करने में विफल रहे तो एक सितंबर को नए नियम लागू होने की वजह से पांच साल पुराने मामले को लेकर नोटिस आयकरदाता को नहीं दे पाएंगे.

धारा 148 और 148ए के तहत भेजे जाते हैं नोटिस
टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट बैंकों, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार और इनवेस्टिगेशन विंग के इनपुट के आधार पर रिएसेसमेंट के केस बनाता है. इनकम टैक्‍स अधिनियम की धारा 148 या 148ए के तहत विभाग रिएसेसमेंट के नोटिस भेजता है. कानून टैक्सपेयर्स को अपनी बात रखने का अधिकार देता है. टैक्स अधिकारियों के एक संगठन ने सीबीडीटी के अध्यक्ष को दिए गए ज्ञापन में कहा कि एक महीने की अवधि के भीतर बड़ी संख्या में नोटिस भेजना असंभव होगा. यह प्रक्रिया अगस्त के अंत तक पूरी नहीं हो सकती. अधिकारियों ने सीबीडीटी से नए नियमों को लागू करने की तारीख आगे बढ़ाने का अनुरोध किया है.

आ सकती है नोटिसों की बाढ
लॉ फर्म खेतान एंड कंपनी के पार्टनर आशीष मेहता ने कहा कि अगस्त में रिएसेसमेंट नोटिसेज की बाढ़ आ सकती है. ये नोटिस एसेसमेंट ईयर 2018-19 और उससे पहले के लिए हो सकते हैं. सीए फर्म चोकशी एंड चोकशी के पार्टनर मितिल चोकशी ने कहा कि रिएसेसमेंट की अवधि को पांच साल तक सीमित करना एक अच्छा निर्णय है. इससे मुकद्दमे बाजी कम होगी और आम आयकरदाता को राहत मिलेगी. अगर आयकर विभाग को लगता है कि इससे आय का वास्तविक नुकसान हो सकता है तो सरकार को टैक्‍स चोरी रोकने को सख्त मापदंड बनाने चाहिए और कुछ मामलों को खोलने की अनुमति देने का प्रावधान कर देना चाहिए.

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