मार्च 2024 तक बैंकों में 78,000 करोड़ रुपये ऐसे हैं, जिन पर दावा करने वाला कोई नहीं है. वित्त मंत्रालय और पूरी सरकार इस बात लेकर पिछले काफी से ‘टेंशन’ में है. बैंकों को ऐसे पैसे को सेटल करने के लिए जागरुकता अभियान तक चलाने पड़ते हैं. बे-दावा पैसों (अनक्लेम्ड मनी) का पहाड़ इसी तरह बढ़ता न जाए और जिसका पैसा है, उसे या उसके परिवार को मिल जाए, इसके मद्देनजर केंद्रीय कैबिनेट ने कुछ बैकिंग कानून में बदलाव के लिए कदम बढ़ा दिए हैं. शुक्रवार को कैबिनेट ने इस पर अहम फैसले लिए हैं, जिसमें से बड़ा बदलाव इसी पैसे का निपटान करना है.
कैबिनेट ने कहा है कि इस बदलावों में किसी भी बैंक अकाउंट के लिए एक से अधिक नॉमिनी हो सकेंगे. नॉमिनीज़ की संख्या 4 तक हो सकेगी, जो अभी तक केवल एक ही है. संभव है कि इस पूरे पैसे पर दावे कभी आए ही न और भविष्य में भी कुछ पैसा अनक्लेम्ड ही रह जाए तो कैबिनेट ने इसे लेकर भी एक सुझाव दिया है. ऐसे अकाउंट्स में जुड़े डिविडेंड और बॉन्ड्स के पैसे को इन्वेस्टर एजुकेशन प्रोटेक्शन फंड (IEPF) में ट्रांसफर कर दिया जाए. अभी तक केवल बैंकों के शेयर ही इस मद में ट्रांसफर हो सकते हैं.
इसके साथ ही, इंश्योरेंस और एचयूएफ (HUF) अकाउंट्स से पैसा निकालने संबंधी कानून भी नरम किए जाने की बात सामने आई है. कहा जा रहा है कि ऐसे अकाउंट्स से सक्सेसिव (Successive) नॉमिनीज़ और सिम्युलटेनियस (Simultaneous) नॉमिनीज़ को भी पैसा निकलवाने की परमिशन होगी. हालांकि अभी तक इस पर एक क्लीयर गाइडलाइन नहीं बनी है. प्रस्ताव के पास पूरी डिटेल आने पर ही कानून अधिक स्पष्ट होंगे.