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कभी 50 ग्राम तो कभी 1 KG… पेरिस ओलंपिक में एक ही दिन में दो-दो बार कैसे टूटा हम भारतीयों का दिल

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कल यानी बुधवार का दिन भारत के लिए काफी दिल तोड़ने वाला रहा. कल पेरिस ओलंपिक में भारत की नजर गोल्ड पर थी. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. सबसे ज्यादा उम्मीदें विनेश फोगाट और मीराबाई चानू से थी. लेकिन दोनों के साथ-साथ भारत की भी उम्मीदें टूट गईं. दोनों के साथ-साथ भारत को वजन ने दर्द दे दिया.

दरअसल पेरिस ओलंपिक में भारत का वेटलिफ्टिंग में मेडल का सपना तब टूट गया जब मीरा बाई चानू 9 किग्रा वर्ग में भारत की मीराबाई चानू ने 199 किलोग्राम का भार उठा कर चौथे स्थान पर ही रह पाईं. इसी के साथ इसी भारत की वेटलिफ्टिंग में मेडल जीतने की उम्मीद खत्म हो गई. चानू पेरिस ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाली अकेली वेटलिफ्टर थीं. टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने सिल्वर मेडल अपने नाम किया था.

ऐसे चूकी चानू
चानू पहले राउंड स्नैच में अच्छा प्रदर्शन कर रहीं थीं, लेकिन क्लीन एंड जर्क के दूसरे राउंड में मात खा गईं. मीराबाई चानू ने स्नैच में 88 किग्रा वजन उठाया. जबकि क्लीन एंड जर्क में उन्होंने 111 किलो वजन उठाने में कामयाबी हासिल की. इस तरह उनका कुल वजन 199 रहा. वह अच्छी फाइट में दिख रही थीं, लेकिन दूसरी प्रतिभागियों ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए उनसे ज्यादा वजन उठा लिया. इस तरह मीराबाई मेडल के बेहद करीब आकर चूकी.

विनेश को रहेगा जिंदगी भर का गम
पूरा देश इस समय भारतीय महिला रेसलर विनेश फोगाट का हौसला बढ़ाने में लगा हुआ है. 7 अगस्त को भी उनके साथ ऐसा ही कुछ हुआ, जहां वह 100 ग्राम वजन बढ़ने की वजह से पेरिस ओलंपिक 2024 से डिसक्वालिफाई कर दी गई. इस खबर के बाद ना केवल देश बल्कि विनेश भी टूट गईं. आज सुबह यानी 8 अगस्त को उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी.

मालूम हो कि भारत की सबसे बेहतरीन पहलवानों में से एक मानी जाने वाली विनेश फोगाट का जन्म 1994 में हुआ, विनेश के ताऊ महावीर फोगाट विनेश और उनकी बहन बबीता फोगाट को बेहद कम समय में कुश्ती से परिचय कराया था. विनेश अपनी चचेरी बहन गीता और बबीता के नक्शेकदम पर चली और वह उस वक्त महज 9 साल की थी, जब उनके पिता का निधन हो गया था. विनेश के ताऊ जी ने दोनों बहनों को कुश्ती सिखाना शुरू किया और दोनों ने इस खेल को सीखने के लिए हर कोशिश की.