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‘भारत को एक्शन लेने की…’ आखिर किस बात से टेंशन में शेख हसीना के बेटे, पीएम मोदी से की अपील

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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने देश बिगड़ते राजनीतिक हालात पर पहली बार खुलकर बात की है. शेख हसीना के बेटे ने संकट की घड़ी में उनकी मां की तत्काल मदद करने और उनकी जान बचाने के लिए भारत सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी को निजी तौर पर धन्यवाद दिया है. साथ ही उन्होंने छात्रों के हिंसक आंदोलन के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ होने को लेकर संदेह भी जताया है. शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने अंतरिम सरकार और उसके प्रमुख नियुक्त किए गए मोहम्मद यूसुफ की वैधानिक स्थिति को लेकर भी सवाल खड़े किए है.

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने कहा कि ‘मेरी मां की जान बचाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सरकार की त्वरित कार्रवाई के लिए भारत सरकार को मेरा निजी आभार है. मैं हमेशा आभारी रहूंगा. मेरा दूसरा संदेश यह है कि भारत को दुनिया में नेतृत्व की भूमिका निभाने की जरूरत है. अन्य विदेशी शक्तियों को हालात को कंट्रोल करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए. क्योंकि यह भारत का पड़ोस है. यह भारत का पूर्वी भाग है. यह एक सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड है जिसे कोई भी नकार नहीं सकता है कि शेख हसीना की सरकार ने बांग्लादेश में शांति बनाए रखी, आर्थिक विकास को बनाए रखा, उग्रवाद को रोका और हमारे उपमहाद्वीप के पूर्वी हिस्से को स्थिर रखा. हम एकमात्र सरकार हैं जिसने साबित किया है कि हम यह कर सकते हैं. अन्य सरकारों ने कोशिश की है. वे विफल रही हैं.’

कामचलाऊ सरकार लोकतंत्र नहीं
बांग्लादेश में कामचलाऊ सरकार के गठना पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने कहा कि “एक तरह से मैं इसका स्वागत करता हूं क्योंकि इन लोगों को अल्पसंख्यक, अभिजात वर्ग और पश्चिम ने बनाया है. मैं निजी रूप से मानता हूं कि सरकार के मानद सलाहकार के रूप में यह एक बात है कि किसी पद पर किसी को चुना जाना और नियुक्त किया जाना अगल बात है. शासन करना एक अलग बात है और बिना राजनीतिक अनुभव के देश चलाना बहुत मुश्किल है. मैं वास्तव में यह देखने के लिए उत्सुक हूं कि वे कैसे प्रदर्शन करेंगे, और क्या वे देश चलाने में सक्षम भी हैं.

शेख हसीना नरसंहार नहीं चाहती थीं
बांग्लादेश में सरकार के पतन के कारणों पर शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने कहा कि ‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह एक छोटे समूह द्वारा और सबसे अधिक संभावना एक विदेशी खुफिया एजेंसी द्वारा उकसाया गया था. मुझे दृढ़ता से आईएसआई पर संदेह है… विरोध का कोई कारण नहीं था… कोटा हमारी सरकार ने बहाल नहीं किया था, इसे अदालत ने बहाल किया था… हमारी सरकार ने कभी भी पुलिस को किसी पर हमला करने का आदेश नहीं दिया… हमने तत्काल उसे निलंबित कर दिया जिसने व्यापक बल का प्रयोग किया था… लेकिन यह काफी नहीं था, उन्होंने सरकार से इस्तीफा देने के लिए कहा और पुलिस पर हमला करना शुरू कर दिया… छात्रों को हथियार कैसे मिले, ये छात्र नहीं थे, ये भीड़ थी, उग्रवादी थे, जिन्हें एक निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए उकसाया गया था… मेरी मां ने इस्तीफा दे दिया क्योंकि वह नरसंहार नहीं चाहती थीं.’

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