पतंजलि एड केस में बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. योग गुरु रामदेव को जिस वजह से सुप्रीम कोर्ट से खूब फटकार पड़ी थी, वह फाइल अब बंद हो गई है. जी हां, पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने योगगुरु रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही बंद कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों के मामले में उनकी माफी स्वीकार कर ली है.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि हमने उनके (स्वामी रामदेव, पतंजलि और बालकृष्ण) माफीनामे को स्वीकार कर लिया है. हमने उन्हें सख्त चेतावनी दी है कि भविष्य में कभी फिर ऐसा ना करें, जैसा इस मामले में हुआ है. इस मामले में दिये गये हलफनामे पर पूरी तरह से पालन किया जाये. बता दें कि रामदेव अदालत में मौजूद होकर इस मामले में पहले माफी मांग चुके हैं.
योग गुरु रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की ओर से पैरवी करने वाले वकील गौतम तलुकदार ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा दिए गए आश्वासन के आधार पर अवमानना की कार्यवाही बंद कर दी है.’ इससे पहले 14 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना नोटिस पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
सुप्रीम कोर्ट आईएमए यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था. याचिका में कोविड टीकाकरण अभियान और चिकित्सा की आधुनिक प्रणालियों के खिलाफ कथित तौर पर दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया गया था. इस मामले में पतंजलि और योग गुरुराम देव को सुप्रीम कोर्ट से फटकार लगी थी. अखबार में माफीनामा छपवाने का भी आदेश जारी हुआ था.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने 21 नवंबर, 2023 के आदेश में कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने उन्हें आश्वासन दिया था कि इसके बाद किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया जाएगा. खासकर कंपनी द्वारा बनाए और मार्केट में लाए गए प्रोडक्ट्स के विज्ञापन या ब्रांडिंग से संबंधित. साथ ही, किसी भी रूप में मीडिया में चिकित्सीय प्रभाव या चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के खिलाफ दावा करने वाले बयान जारी नहीं किए जाएंगे.
शीर्ष अदालत ने कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड इस तरह के आश्वासन के लिए बाध्य है.’ विशिष्ट आश्वासन का पालन न करने और बाद में फर्म द्वारा मीडिया में दिए गए बयानों से सुप्रीम कोर्ट बेहद नाराज हो गया था. इसके बाद कोर्ट ने बाबा रामदेव और पतंजलि को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए.