रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों जिस बात को लेकर सबसे ज्यादा चिंता जताई, उसे आम आदमी ने दूर कर दिया है. संकट में दिख रहे बैंकों को आम आदमी ने फिर बाहर निकाल लिया है. आरबीआई की ओर से हाल में जारी आंकड़ों से पता चलता है कि लोगों ने बैंकों में अपना पैसा फिर डालना शुरू कर दिया है, जबकि लोन कम लिया तो बैंकों के पास फंड दोबारा जमा होना शुरू हो गया है.
आरबीआई की ओर से जारी आंकड़ों में बताया गया है कि 26 जुलाई, 2024 तक बैंकों का कुल जमा 211.9 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है. मार्च के बाद से अब तक 7.2 लाख करोड़ रुपये जमा किए जा चुके हैं. यह पिछले साल की समान अवधि में आए फंड के मुकाबले 3.5 फीसदी ज्यादा है. इसका मतलब है कि बैंकों में जमा की दर अब बढ़ रही है.
लोन कम ले रहे लोग
जुलाई, 2024 तक बैंकों का कुल लोन बुक 168 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है. इसमें से 3.8 लाख करोड़ रुपये का लोन तो मार्च के बाद से ही बांटा गया है. इसे अगर पिछले साल की समान अवधि की तुलना में देखा जाए तो 2.3 फीसदी ज्यादा लोन बांटा गया है. अगर लोन और जमा का अंतर देखें तो करीब 3 लाख करोड़ रुपये का ज्यादा जमा आया है.
कहां लिया गया ज्यादा लोन
बैंकों ने लोन बांटने की गति को कुछ धीमा किया है, लेकिन अब भी यह सालाना आधार पर बढ़ता ही जा रहा. सबसे ज्यादा पर्सनल लोन और एमएसएमई को ही पैसा दिया गया है. लोन बांटने की रफ्तार धीमी पड़ रही, क्योंकि आरबीआई ने रिस्क वाले लोन न बांटने का निर्देश दिया है. साथ ही बैंकों को ज्यादा सतर्क रहने की भी सलाह दी है.
सालभर से बढ़ रहा लोन
अगर लोन बांटने की गति को सालाना आधार पर देखें तो पिछले एक साल में 13.6 फीसदी की तेजी आई है. यह पिछले साल के मुकाबले भी काफी सुस्त है. पिछले साल लोन बांटने की ग्रोथ रेट 19.7 फीसदी रही थी. हालांकि, जमा के मोर्चे पर काफी तेजी आई है. एक साल में जमा की ग्रोथ रेट 10.6 फीसदी रही, जो इससे पहले के साल के मुकाबले काफी ज्यादा है.
लोन-जमा का अनुमात सुधरा
बैंकों की ओर से लोन बांटने में सुस्ती आने की वजह से लोन और जमा का अनुपात भी सुधरा है और लगातार दूसरे पखवाड़े में यह 80 फीसदी से नीचे ही बना रहा. एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के मर्जर से भी इस अनुपात में सुधार आया है. इस बैंक का जमा और लोन का अनुपात 77 फीसदी के आसपास है.