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ऑफिस में छेड़खानी होने पर क्या करें? काम आएंगी ये गाइडलाइंस, दिमाग में कर लें नोट

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अहम हिस्सा वर्कप्लेस पर बिताने वाली महिलाएं अक्सर वहां होने वाली घटनाओं का जिक्र करती हैं. कभी कोई सहकर्मी डर्टी जोक सुनाकर खुद ही हंस लेता है तो कभी कोई डबल मीनिंग बातों से परेशान करता है. लेकिन शर्म या डर की वजह से वह उसकी शिकायत करने में झिझकती हैं. कई महिलाओं को पता ही नहीं है कि वर्कप्लेस पर यौन शोषण होने पर वह कहां शिकायत करें. वर्कप्लेस पर महिलाओं के साथ होने वाली इन घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ‘विशाखा गाइडलाइंस’ जारी की थीं.

‘विशाखा गाइडलाइंस’ क्या हैं?
साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के खिलाफ कुछ दिशा-निर्देश जारी किए थे. इन्हीं को ‘विशाखा गाइडलाइंस’ के नाम से जाना जाता है. विशाखा गाइडलाइंस के तहत महिलाएं अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न की शिकायत तुरंत दर्ज करवा सकती हैं. बता दें कि इस गाइडलाइन को विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान सरकार और भारत सरकार मामले के तौर पर भी जाना जाता है.

कामकाजी महिलाओं का हक हैं ‘विशाखा गाइडलाइंस’
विशाखा गाइडलाइंस के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाली छेड़छाड़ पर लगाम कसी जाए. इन दिशा-निर्देशों में किसी महिला को गलत तरीके से छूना, छूने की कोशिश करना, गलत तरीके से देखना या घूरना, यौन संबंध बनाने के लिए कहना, अश्लील टिप्पणी या गंदे इशारे करना, अश्लील चुटकुले भेजना या सुनाना, एडल्ट फिल्में दिखाना जैसी उन सभी हरकतों को यौन उत्पीड़न के दायरे में रखा गया है, जिनसे कोई महिला असहज महसूस कर सकती है.

1- विशाखा गाइडलाइन के तहत 10 या उससे ज्यादा एंप्लॉइज वाली हर कंपनी में इंटरनल कंप्लेंट्स कमिटी (आईसीसी) बनाना अनिवार्य है.

2- गाइडलाइन में निर्देशित किया कि इस कमेटी की अध्यक्ष महिला होंगी और कमेटी में आधी से ज्यादा सदस्य भी महिलाएं ही होंगी.

3- यौन शोषण के मुद्दों पर काम कर रहे किसी एनजीओ की एक महिला प्रतिनिधि का भी इस कमेटी का हिस्सा होना जरूरी है.

4- यौन उत्पीड़न के मामले में जांच के दौरान अगर कमेटी किसी व्यक्ति को आरोपी पाती है तो उसके तहत आईपीसी की धाराओं के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी.

5- विशाखा गाइडलाइंस में यह भी साफ किया गया कि संस्थान शिकायत करने वाली महिला या कमेटी के किसी सदस्य पर दबाव नहीं बना सकता है.

6- अगर कोई महिला कमेटी के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो वह पुलिस में भी शिकायत दर्ज करवा सकती है.

1.2 यहां यह ध्यान रखना चाहिए कि ‘यौन उत्पीड़न’ की उचित परिभाषा व्यापक नहीं है. संदर्भ और परिस्थितियों के आधार पर, कोई भी अन्य कार्य यौन उत्पीड़न के अंतर्गत आ सकता है.

1.3 निम्नलिखित में से कोई भी परिस्थिति, अन्य के साथ, संदर्भ और परिस्थितियों के आधार पर यौन उत्पीड़न का गठन कर सकती है. यदि निम्नलिखित में से कोई भी कार्य या व्यवहार यौन आचरण से जुड़ा हुआ है या उससे संबंधित है:
(क) रोजगार या कार्य के दौरान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अनुकूल व्यवहार का वादा करना.
(ख) रोजगार या कार्य के दौरान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हानिकारक व्यवहार का वादा करना.
(ग) रोजगार या कार्य की वर्तमान या भविष्य की स्थितियों के संबंध में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से धमकी देना.
(घ) महिलाओं के रोजगार या कार्य में हस्तक्षेप करना या उन्हें धमकाना या अपमानजनक या शत्रुतापूर्ण कार्य वातावरण बनाना.
(ई) महिलाओं के स्वास्थ्य या सुरक्षा को प्रभावित करने वाला गैरकानूनी आचरण.

Internal Complaints Committee: NTA में आंतरिक शिकायत समिति के सदस्य कौन हैं?
एनटीए मुख्यालय में आंतरिक शिकायत समिति के सदस्यों में अध्यक्ष के रूप में साधना पराशर, सदस्य के रूप में शुचि रॉय, मौसमी सरकार, सुनीता कौंडल, सदस्य सचिव के रूप में मोहित शमो तथा एनजीओ के सदस्य शामिल हैं.