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INS अरिघात सबमरीन पनडुब्बी बम से 750 KM दूर तक मचाएगा तबाही, K-15 मिसाइल से है लैस

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भारतीय नेवी में दुश्मनों का एक और काल आने वाला है. परमाणु बम से 750 किलोमीटर दूर तक तबाही मचाने वाला आईएनएस अरिहंत का यार अरिघात आज समंदर में उतरने जा रहा है. आईएएनएस अरिघात के-15 मिसाइल से लैस होगा, जो काफी खतरनाक है. इससे दुश्मनों की हर चाल नाकाम होगी. जी हां, भारतीय नौसेना में आज यानी गुरुवार को आईएनएस अरिघात सबमरीन यानी पनडुब्बी शामिल होने जा रही है. इससे समंदर में न केवल भारत की ताकत बढ़ेगी बल्कि यह चीन-पाकिस्तान में खलबली भी मचाएगी.

आईएनएस अरिघात सबमरीन समंदर में घात लगाकर दुश्मनों को खोज-खोज कर साफाया करेगी. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह परमाणु ऊर्जा से चलती है और यह महीनों तक पानी में डूबी रह सकती है. इस प्रकार की भारत की यह दूसरी पनडुब्बी है. साथ ही यह पनडुब्बी दुश्मनों को पता लगे बिना ही हमला करने में सक्षम है. दुश्‍मन की नजर से भी बचा जा सके और दुश्मन पर अचानक हमला करने में सक्षम है.

K-15 मिसाइलों से लैस
112 मीटर लंबे आईएनएस अरिघात K-15 मिसाइलों से लैस होगी. इन मिसाइलों की मारक क्षमता 750 किलोमीटर से भी अधिक है. यानी कि समंदर दुश्मन में चाहे कहीं भी छिपे हों, उनका पता लगाकर घात लगाकर हमला करने में माहिर है. आज ही यानी कि गुरुवार को विशाखापत्तनम के सिक्रेट जहाज निर्माण केंद्र में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी में नौसेना में शामिल होगी.

आईएनएस अरिहंत की श्रेणी वाला परमाणु सबमरीन
आईएनएस अरिघात से पहले, 2009 में आईएनएस अरिहंत लॉन्च हुआ था. अरिघात और अरिहंत बिलकुल समान है. मगर, आईएनएस अरिघात अपने पूर्ववर्ती अरिहंत से काफी एडवांस है. ये दोनों सबमरीन मिलकर देश की ‘परमाणु त्रय’ या कहें कि जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु बम दागने की क्षमता को मजबूत करेंगे. सैन्य सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार, ‘आईएनएस अरिघात, आईएनएस अरिहंत के साइज, लंबाई और चौड़ाई के ही बराबर है, लेकिन यह उससे अधिक K-15 मिसाइलों को ले जा सकता है. साथ ही यह अरिहंत से हर मामले में अधिक सक्षम, कुशल और सिक्रेटली अटैक करने वाला है.’

महीनों तक पानी में डूबे रहने की क्षमता
आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात दोनों पारंपरिक पनडुब्बियों से बिलकुल अलग है. इनसे पहले कमीशन हुईं डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां अपने बैटरी को रिचार्ज करने के लिए ऑक्सीजन लेने हर दो दिन में सतह पर आती है या “स्नोर्कल” करती हैं. इसके विपरीत अरिहंत और अरिघात 83 मेगावाट दबाव वाले लाइट वाटर के रिएक्टरों से संचालित होती हैं. उनमें लगे छोटे परमाणु रिएक्टर की वजह से वे महीनों तक पानी में डूबे रह सकते हैं.

चौथे प्रोजेक्ट पर भी काम शुरू
हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिशीलता को देखते हुए भारत लगातार अपने नौसेना की ताकत को बढ़ाने में लगा हुआ है. भारत इसी कड़ी की तीसरी और चौथी पनडुब्बी कमीशन करने वाला है. जानकारी के अनुसार तीसरा एसएसबीएन (परमाणु-चालित पनडुब्बियों या परमाणु-युक्त बैलिस्टिक मिसाइलों वाली पनडुब्बी), जो कि 7,000 टन वाला बड़ा पोत है, अगले साल कमीशन किया जाएगा. इसे आईएनएस अरिदमन नाम से जाना जाएगा.
भारत लगातार देश की समुद्री ताकत को बढ़ाने पर जो दे रहा है. अगर आज को मिला लें तो दो परमाणु मिसाइल वाली पनडुब्बियों कमीशन करने के बाद तीसरे परमाणु पनडुब्बी के निर्माण में लग गया है. भारत सरकार ने इसके लिए अलग से 90,000 करोड़ जारी किया है.