बॉर्डर पर घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को अब एक नया ‘हथियार’ मिला है. इसके लिए बाकायदा उनको ट्रेनिंग भी दी गई है. ये हथियार ऐसा कि इसे ना तो कोई दुश्मन मार पाएगा और ना ही कोई घुसपैठिया इसे अपने काबू में कर सकता है. हां, लेकिन अगर इसने वापस हमला कर दिया तो, सीमा पार से आने वालों को लेने के देने पड़ सकते हैं. पिछले हफ्ते, सीमा सुरक्षा बल के 10-12 जवानों का एक ग्रुप एक खास ब्रीफिंग में हिस्सा लेने के लिए पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के कादीपुर गांव में भारत-बांग्लादेश सीमा पर बाड़ पर खड़ा था.
जालीदार सूट में सिर से पांव तक ढके ये सभी कमांडो हथियारों से नहीं बल्कि छत्ता ढांचे से लैस थे. दरअसल, वे यह सीख रहे थे कि मधुमक्खियों को कैसे पालते हैं. न्यूज18 के मुताबिक, ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि इस सीमा पर तैनात बीएसएफ यूनिट बांग्लादेश से भारत में होने वाली घुसपैठ को रोक सके. ये ढांचा लकड़ी और जाली से बना एक तरह का बॉक्स होता है, जहां मधुमक्खियों को रखा जाता है. इस बॉक्स में में कई फ़्रेम होते हैं जिनमें मधुमक्खियां अपना छत्ता बनाती हैं.
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की 32वीं बटालियन, जो 46 किलोमीटर तक के बॉर्डर की हिफाजत करती है, ने भारत और बांग्लादेश के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा के बाड़ पर ऐसे कई बॉक्स लटका दिए हैं. अधिकारियों ने कहा कि इस डर से कि मधुमक्खियों से परेशान ना हो, तस्कर और घुसपैठियों ने इस रास्ते से आना छोड़ दिया है. यही वजह है कि सीमा पार से घुसपैठियों के आने की घटनाएं लगभग शून्य हो गई हैं, जो कभी रोजमर्रा की बात हुआ करती थी.
32वीं बटालियन के प्रमुख कमांडेंट सुजीत कुमार ने कहा, “हमने सरकार की वाइब्रेंट विलेज पहल के बैनर तले एक साल से भी कम समय पहले नवंबर 2023 में मधुमक्खी पालन शुरू किया था. फिर तस्करों और घुसपैठियों को दूर रखने के लिए उपाय ढूंढते समय इन्हें बाड़ पर लटकाने का विचार मेरे मन में आया.” कमांडेंट ने कहा, “अक्सर बांग्लादेशियों द्वारा बाड़ काटकर अवैध रूप से भारत में घुसपैठ करने के मामले सामने आते रहते हैं. मवेशियों और अन्य वस्तुओं की तस्करी की घटनाएं भी बहुत आम थीं. हमारे लिए हैरानी की बात है, जब से हमने बाड़ पर यह बॉक्स बनाए हैं, इस तरह की घटनाएं लगभग खत्म हो गई हैं.”
मधुमक्खी पालन में बीएसएफ जवानों की चल रही ट्रेनिंग पर कुमार ने कहा, “अब हमारे पास दूसरी यूनिट्स के भी सदस्य हैं जो मधुमक्खी पालन सीखेंगे और इस मॉडल को अपनी यूनिट्स में इस्तेमाल करेंगे. हमें खुशी है कि जो पहल हमारी यूनिट के दिमाग की उपज थी, उसने सीमा पार अवैध गतिविधियों के खिलाफ सफलतापूर्वक काम किया है.” अधिकारी ने कहा, “एक बार जब ये जवान बीएसएफ से रिटायर हो जाएंगे, तो उनके पास कमाई का जरिया बनाए रखना के लिए हमेशा मधुमक्खी पालन का ऑप्शन रहेगा.”