1984 सिख दंगा मामले में शुक्रवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में एक अहम डेवलपमेंट देखने को मिला. कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार कर दिया. जगदीश टाइटलर ने कहा कि वो इस मामले में ट्रायल का सामना करेंगे. जिसके बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने मामले को सुनवाई और सबूतों की रिकॉर्डिंग के लिए सूचीबद्ध कर दिया. पेश मामले में चार्जशीट पर संज्ञान लेने के बाद कोर्ट ने 30 अगस्त को टाइटलर के खिलाफ आरोप तय किए थे.
आइये हम आपको बताते हैं कि साल 1984 में हुए सिख दंगों के दौरान पुलबंगश पर ऐसा क्या हुआ था, जिसके चलते जगदीश टाइटलर खुद कांग्रेस के लिए ही दशकों से सिरदर्द बने हुए हैं. पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को गोलियों से भूनकर उन्हीं के सरकारी आवास पर मौत के घाट उतार दिया गया था. अमृतसर में ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने के लिए एक सिख सुरक्षाकर्मी ने इस वारदात को अंजाम दिया था. जिसके बाद दिल्ली सहित पूरे देश में सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे. आरोप है कि कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर दिल्ली में इन दंगों के सूत्रधार बने थे.
पुल बंगश में ऐसा क्या हुआ था?
सिख विरोधी दंगों के बीच यह मामला 1 नवंबर 1984 को गुरुद्वारा पुल बंगश के पास तीन सिखों की हत्या से जुड़ा हुआ है. पिछले साल मई में दाखिल अपने आरोपपत्र में सीबीआई ने टाइटलर पर बारा हिंदू राव के आजाद मार्केट में पुल बंगश गुरुद्वारा के पास इकट्ठी भीड़ को उकसाने और उन्हें भड़काने का आरोप लगाया था. एक गवाह ने आरोपपत्र में कहा कि टाइटलर 1 नवंबर, 1984 को गुरुद्वारा पुल बंगश के सामने एक सफेद एंबेसडर कार से उतरे और भीड़ से कहने लगे कि “सिखों को मार डालो, इन्होंने हमारी मां को मार डाला है”.
गुरुद्वारे को आग लगाई, दुकानों को जला डाला
आरोप है कि जगदीश टाइटल द्वारा की गई इस वारदात के बाद भीड़ एकाएक हिंसक हो गई और उन्होंने वहां तीन सिखों को मौत के घाट उतार दिया था. इस भीड़ ने गुरुद्वारे को आग के हवाले कर दिया. वो इतने पर ही नहीं रुके. हिंसक भीड़ ने आसपास के इलाकों में मौजूद दुकानों को आग के वाले कर दिया था. पेश मामले में सीबीआई दो बार अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है. हालांकि हर बार कोर्ट ने इसे स्वीकार करने से मना कर दिया था.