कब से मिलने शुरू होंगे राफेल -M?
सौदे पर हस्ताक्षर होने के लगभग पांच साल बाद राफेल एम जेट की डिलीवरी शुरू होने की उम्मीद है। विमानों की डिलीवरी 2029 के अंत से शुरू होगी। 2031 तक भारत को पूरी खेप मिल जाएगी। इन राइफल-एम विमानों को INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर्स से ऑपरेट किए जाएंगे। दोनों नौसेना के जहाज अपने मिशनों को पुराने हो चुके मिग 29के लड़ाकू विमानों के साथ अंजाम देते हैं।
IAF की क्षमताओं को बढ़ाएगा नया राफेल
नया राफेल मरीन सौदा आईएएफ की क्षमताओं को बढ़ाने में भी मदद करेगा, जिसमें इसके “बडी-बडी” हवाई ईंधन भरने की प्रणाली को अपग्रेड करना शामिल है। यह सुविधा लगभग 10 आईएएफ राफेल विमानों को हवा में ही अन्य विमानों में ईंधन भरने में सक्षम बनाएगी, जिससे उनकी परिचालन सीमा बढ़ जाएगी।
फाइटर जेट को लेकर महीनों से बातचीत जारी
रिपोर्टस् के मुताबिक, दोनों देशों के बीच 26 राफेल मरीन जेट की खरीद को लेकर कई महीनों से बातचीत जारी थी। भारत नौसेना के लिए राफेल मरीन की डील उसी प्राइज में करना चाहता था, जो भारत ने 2016 में वायुसेना के लिए 36 विमान खरीदते समय रखी थी।
इस डील की जानकारी सबसे पहले PM मोदी की 2023 की फ्रांस यात्रा के दौरान सामने आई थी। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने लेटर ऑफ रिक्वेस्ट जारी किया था, जिसे फ्रांस ने दिसंबर 2023 में स्वीकार किया। इससे पहले सितंबर 2016 में भारत वायुसेना के लिए फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद चुका है। ये डील 59 हजार करोड़ रुपए में तय हुए थी।
राफेल मरीन फाइटर जेट की खासियत
- राफेल मरीन भारत में मौजूद राफेल फाइटर जेट्स से ज्यादा एडवांस्ड है। इसका इंजन ज्यादा ताकतवर है, इसलिए यह फाइटर जेट INS विक्रांत से स्की जंप कर सकता है।
- यह बहुत कम जगह पर लैंड भी कर सकता है। इसे ‘शॉर्ट टेक ऑफ बट एरेस्टर लैंडिंग’ कहते हैं।
- राफेल के दोनों वैरिएंट में लगभग 85 फीसदी पार्टस एक जैसे हैं। इसका मतलब है कि स्पेयर पार्ट्स से जुड़ी कभी भी कोई कमी या समस्या नहीं होगी।