ईरान समर्थित आतंकी संगठन हिजबुल्लाह और इजरायल में जंग जारी है. इजरायल हिजबुल्लाह पर कहर बरपा रहा है. वहीं अमेरिका अभी इजरायल के साथ साफ तौर पर खड़ा है. लेकिन इस सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायल-ईरान युद्ध पर दो टूक बात कही थी. जो बाइडेन ने कहा था कि अमेरिका ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल के जवाब में उसकी न्यूक्लियर साइट पर इजरायली हमले का समर्थन नहीं करेगा. लेकिन अब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा बयान दिया है. जिससे साफ समझा जा सकता है कि अगर ट्रंप सत्ता में दोबारा से चुनकर आते हैं तो अमेरिका इस युद्ध में किस ओर खड़ा रहेगा.
ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि उनका मानना है कि हालिया मिसाइल हमले के जवाब में इजराइल को ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमला करना चाहिए. पूर्व राष्ट्रपति उत्तरी कैरोलिना में एक चुनावी कैंपेन कार्यक्रम में बोल रहे थे. ट्रंप ने डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति जो बाइडेन से पूछे गए एक सवाल का जिक्र किया. ट्रंप ने कहा जब उन्होंने उनसे यह सवाल पूछा, तो उनका जवाब होना चाहिए था, पहले परमाणु हमला करना और बाकी के बारे में बाद में चिंता करना.
ट्रंप ने दो टूक दिया जवाब
ट्रंप ने कहा, ‘उन्होंने उनसे पूछा, आप ईरान के बारे में क्या सोचते हैं, क्या आप ईरान पर हमला करेंगे? और उन्होंने कहा, ‘जब तक वे परमाणु हथियारों पर हमला नहीं करते.’ यही वह चीज है जिसे आप मारना चाहते हैं, है न?’ बता दें कि बुधवार को बाइडेन से पूछा गया था कि क्या वे ऐसे किसी हमले का समर्थन करेंगे तो उन्होंने इस सवाल का सरल जवाब दिया ‘नहीं’.
बढ़ते तनाव के बीच, अमेरिकी विदेश विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने CNN को बताया कि इज़रायल ने बाइडेन प्रशासन को इस तरह का कोई आश्वासन नहीं दिया है कि वह ईरान की परमाणु सुविधाओं को निशाना नहीं बनाएगा. अधिकारी ने कहा कि यह “कहना वाकई मुश्किल है” कि क्या इज़रायल हमास के 7 अक्टूबर के हमलों की सालगिरह का इस्तेमाल जवाबी कार्रवाई के लिए करेगा.
अमेरिका लगातार इजरायल के संपर्क में है
शुक्रवार को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान, बाइडेन ने आश्वासन दिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकारी अपने इजरायली समकक्षों के साथ “दिन में 12 घंटे” संपर्क में हैं. राष्ट्रपति ने बुधवार को कहा, “हम इजरायलियों के साथ चर्चा करेंगे कि वे क्या करने जा रहे हैं,” उन्होंने कहा कि सभी G7 सदस्य इस बात पर सहमत हैं कि इजरायल को “जवाब देने का अधिकार है, लेकिन उन्हें जवाब उतना ही देना चाहिए जितनी की आवश्यकता है.”