भारत आज हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है. खासकर अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में वह रोज झंडे गाड़ रहा है. इसी कड़ी में एक और बड़ी खबर आई है. अंतरिक्ष से भारत की निगरानी प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने अंतरिक्ष आधारित निगरानी (SBS-III) के तीसरे चरण को चुपचाप मंजूरी दे दी है. इसके तहत निचली पृथ्वी और भूस्थिर कक्षाओं में जासूसी उपग्रहों का एक बड़ा समूह लॉन्च किया जाएगा.
ISRO के एक सूत्र ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “सीसीएस ने सोमवार को एसबीएस-III परियोजना के तहत 52 उपग्रहों को लॉन्च करने की मंजूरी दे दी, जिसकी लागत करीब 27,000 करोड़ रुपये होगी.” भारत ने पहले ही SBS कार्यक्रम के तहत कई जासूसी या पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों को लॉन्च किया है जैसे कि रिसैट, कार्टोसैट और जीसैट-7 श्रृंखला के सैटेलाइट हैं. SBS-1 को पहली बार 2001 में वाजपेयी शासन के दौरान मंजूरी दी गई थी जिसके तहत चार निगरानी उपग्रह लॉन्च किए गए थे.
इसके बाद, 2013 में दूसरे चरण के तहत छह ऐसे सैटेलाइट लॉन्च किए गए. 50 से अधिक उपग्रह, जिन्हें पांच वर्षों में लॉन्च किए जाने की संभावना है. भारत में ‘आसमान में नजर रखने वाली आंखों’ की संख्या में वृद्धि करेंगे, जिससे भारत की भूमि और समुद्री सीमाओं की अंतरिक्ष-आधारित निगरानी प्रणाली को बल मिलेगा, ऐसे समय में जब देश पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमा, चीन के साथ उत्तरी सीमा पर सुरक्षा चिंताओं और हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी जासूसी जहाजों और पनडुब्बियों द्वारा बढ़ती समुद्री निगरानी का सामना कर रहा है.
सैटेलाइट का नया बेड़ा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर आधारित होगा जो पृथ्वी पर “भू-खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए अंतरिक्ष में एक-दूसरे के साथ बातचीत कर सकता है”. बता दें कि ISRO के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पिछले दिसंबर में कहा था, “हमारे पास उपग्रहों के बीच संचार होगा, ताकि अगर कोई उपग्रह 36,000 किमी की ऊंचाई पर GEO (जियोसिंक्रोनस इक्वेटोरियल ऑर्बिट) में कुछ पता लगाता है, तो वह निचली कक्षा (400-600 किमी की ऊंचाई पर) में दूसरे उपग्रह से अधिक सावधानी से जांच करने और फिर हमें अधिक जानकारी देने के लिए कह सकता है. यह क्षमता हमें बहुत संभावनाएं देगी.”