चिनाब रेल ब्रिज के बाद देश में एक और मेगा प्रोजेक्ट इन दिनों तेलंगाना में आकार ले रहा है. इसका नाम है अलीमिनेती माधव रेड्डी एसएलबीसी सुरंग. इसे तेलंगान के श्रीशैलम जिले में पहाडियों के नीचे से बनाया जा रहा है. यह सुरंग कृष्णा नदी पर बने श्रीशैलम जलाशय से पानी को 44 किलोमीटर दूर बनकाचेरला क्रॉस तक ले जाएगी और सूखाग्रस्त चार जिलों के 543 गांवों की प्यास बुझाएगी. 4 लाख एकड़ भूमि की सिंचाई होगी. इस मेगा प्रोजेक्ट का निर्माण इस तरह से किया जा रहा है कि पानी बिना बिजली के गुरुत्वाकृष्ण के जरिए 44 किलोमीटर दूर तक बहेगा. सुरंग में एंट्री और एग्जिट के अलावा और कोई दरवाजा नहीं है. ट्राली ट्रेन से मजदूरों लाते-ले जाते हैं.
इस परियोजना का खाका 1983 में खींचा गया था लेकिन इस पर काम 2006 में शुरू हुआ. 1983 में इसे विशेष रूप से नलगोंडा और नागरकुरनूल जिले के फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्रों की पानी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया था. अलीमिनेती माधव रेड्डी एसएलबीसी सुरंग का काम अब तक 80 फीसदी पूरा हो चुका है और सुरंग में साल 2026 तक पानी दौड़ने लगेगा. इस परियोजना पर 4600 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.
अब तक लग चुका है 20 लाख टन कंक्रीट
अलीमिनेती माधव रेड्डी एसएलबीसी सुरंग में अब तक 20 लाख टन कंक्रीट लग चुका है. सुरंग के निर्माण के लिए दो डबल शील्ड टनल बोरिंग मशीनों (टीबीएम) का इस्तेमाल किया जा रहा है. सुरंग का बड़ा हिस्सा एक शियर ज़ोन से गुजरता है, जिसमें भूवैज्ञानिक कठिनाइयां उत्पन्न हो रही हैं. इस कारण से परियोजना की समय सीमा छह बार बढ़ाई जा चुकी है. अत्यधिक कठोर और अपघर्षक चट्टानें काम में बाधा डाल रही हैं, जिसके लिए विशेष रूप से मजबूत कटर रिंग्स का इस्तेमाल किया जा रहा है.
44 किलोमीटर लंबी अलीमिनेती माधव रेड्डी एसएलबीसी सुरंग सुरंग में 41700 मीट्रिक टन स्टील लगेगा. यह दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा से 2 हजार टन तो चिनाब रेल ब्रिज से 11 हजार टन ज्यादा है. अभी तक इन 543 सूखाग्रस्त गांवों तक नागार्जुन सागर से बिजली की मदद से पानी सप्लाई किया जाता है. इस पर हर साल 300 करोड़ रुपये खर्च हो जाते हैं. पानी के लिए सुरंग बन जाने से हर साल यह पैसा बचेगा.