शेख हसीना के सत्ता से बाहर जाने के बाद से बांग्लादेश किस नीति के साथ आगे बढ़ रहा है, इसे पढ़ पाना अच्छे-अच्छे राजनीतिक पंडित के लिए बेहद मुश्किल है. एक तरफ बांग्लादेश भारत से करीबी रिश्ते चाहता है. वहीं, दूसरी तरफ वो हमें आंख दिखाने का मौका भी नहीं छोड़ रहा. पीएम से मुलाकात के लिए यूनाइटेड नेशन में कार्यवाहक सरकार के चीफ मोहम्मद यूनुस ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से पैरवी लगवाई थी. तब यह मुलाकात समय के आभाव में नहीं हो सकी. वहीं, दूसरी तरफ वो भारत के खिलाफ ही इंटरपोल से मदद की गुहार लगा रहा है. हद तब हो गई जब हाल ही में उसने हिन्द महासागर में चीनी नेवी के रिसर्च वैसल को आने की इजाजत दे दी.
हुआ कुछ यूं कि रविवार को बांग्लादेश के चीफ पब्लिक प्रॉसिक्यूटर का एक बयान सामने आया. उसने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि वो शेख हसीना को वापस स्वदेश लाने के लिए इंटरपोल की मदद लेंगे. इससे पहले वो कोर्ट के माध्मय से सभी कानूनी कार्रवाई को पूरा कर रहे हैं. जल्द ही वो भारत के खिलाफ इंटरपोल जाएंगे. मोहम्मद यूनुस सरकार में इतने अहम पद पर बैठा कोई व्यक्ति बिना उनकी इजाजत के तो भारत के खिलाफ इतना बड़ा बयान नहीं दे सकता है. शेख हसीना बांग्लादेश से भागने के बाद से ही भारत में रुकी हुई हैं. जिसके चलते बांग्लादेश की जनता में लगातार बढ़ती नाराजगी के कारण अंतरिम सरकार भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने से बाज नहीं आ रही है.
भारत के खिलाफ बांग्लादेश का चीन प्लान!
भारत हमेशा से ही चीन को हिन्द महासागर में आने से रोकने का हर संभाव प्रयास करता रहा है. पहले मालदीव ने भारत को आंखे दिखाते हुए चीनी नेवी को हिन्द महासागर में आने की इजाजत दे दी थी. अब इसी राह पर बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार ने चीनी नेवी को हिन्द महासागर में बुलावा भेजा. चीनी नौसेना का एक बेड़ा शनिवार को बांग्लादेश पहुंचा. इस अवसर पर बांग्लादेश में चीन के राजदूत याओ वेन ने कहा कि ढाका में हाल के राजनीतिक परिवर्तनों के बावजूद चीन-बांग्लादेश संबंध बढ़ते रहेंगे.
क्या है भारत का डर?
चीन हमेशा से ही हिन्द महासागर में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए भारत के पड़ोसी देशों पर डोरे डालता रहा है. हालांकि पड़ोसी देश में राजनीतिक बदलाव का खामियाजा हमें भुगतना पड़ा है. भारत का डर यह है कि चीन का रिसर्च वैसल यहां हिन्द महासागर की गहराई को नापने या अन्य रिसर्च के काम कर सकता है. जिससे भविष्य में भारत को नुकसान पहुंचने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.