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कानून का सहारा लेने जा रहे नोएल टाटा! ट्रस्‍ट के चेयरमैन बनते ही क्‍यों पड़ी जरूरत, 16 में 13 कंपनियों के शेयर टूटे

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देश के सबसे बड़े और भरोसेमंद कारोबारी समूह टाटा को पिछले सप्‍ताह उसका नया मुखिया मिला है. बीते करीब 3 दशक से रतन टाटा की अगुवाई में आगे बढ़ रहे टाटा समूह की कमान अब उनके सौतेले भाई नोएल टाटा (Noel Tata) के हाथ में है. इस बीच खबर आ रही है कि नोएल टाटा अपने पद को लेकर कानून का सहारा लेने जा रहे हैं. आखिर ऐसी क्‍या मजबूरी है जो नोएल टाटा को पद संभालने के सप्‍ताह भर के भीतर ही कानूनी परामर्श की जरूरत पड़ गई. इधर, शेयर बाजार में गुरुवार को टाटा समूह की 16 में से 13 कंपनियों के स्‍टॉक में गिरावट दिख रही है.

आपको बता दें कि रतन टाटा के जाने के बाद उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा ट्रस्‍ट का चेयरमैन बनाया गया है. टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अब नोएल टाटा संस के बोर्ड में भी शामिल होने की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं. टाटा संस की टाटा ट्रस्‍ट में करीब 66 फीसदी हिस्‍सेदारी है, जो टाटा समूह की सभी फर्मों की होल्डिंग कंपनी है. नोएल, टाटा फैमिली के एकमात्र सदस्‍य हैं, जो टाटा संस और टाटा ट्रस्‍ट दोनों का प्रतिनिधित्‍व करते हैं. साथ ही ट्रस्‍ट की ओर से टाटा संस के बोर्ड में शामिल होने वाले तीन नॉमिनी में से एक हैं. नोएल के अलावा वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह का नाम भी प्रस्‍तावित किया गया है.

नोएल क्‍यों ले रहे सलाह
यह तो आप जानते ही हैं कि टाटा ट्रस्‍ट टाटा समूह का एक परोपकारी अंग है. अब चूंकि, नोएल टाटा की नियुक्ति इस ट्रस्‍ट के चेयरमैन पद पर हो चुकी है तो वे इस बात को लेकर कानूनी सलाह लेना चाहते हैं कि क्‍या वे अब भी टाटा समूह की कुछ कंपनियों में चेयरमैन बने रह सकते हैं. नोएल को 11 अक्‍टूबर को टाटा ट्रस्‍ट का चेयरमैन चुना गया था.

क्‍या हो सकता है आगे
रिपोर्ट में कहा गया है कि लीगल एक्‍सपर्ट के अनुसार, नोएल टाटा के ग्रुप की अन्‍य कंपनियों में चेयरमैन पद पर बने रहने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है, जिसमें उनका रोल बतौर नॉन एग्‍जीक्‍यूटिव है. हालांकि, नोएल टाटा इस मामले में जल्‍दबाजी में फैसला नहीं लेना चाहते और वे इस बात पर आश्‍वस्‍त होना चाहते हैं कि आखिर टाटा समूह की बेहतरी के लिए क्‍या करना सही है.