विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि ऐसा लगता है कि कनाडा के लोगों को भारतीय राजनयिकों द्वारा भारत के संबंध में वहां क्या हो रहा है, यह जानने की कोशिश करने से परेशानी है. एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में एक स्पेशल इंटरव्यू में जयशंकर ने कनाडा द्वारा अन्य राजनयिकों के साथ व्यवहार करने और भारत में रहने के दौरान उनके राजनयिकों द्वारा खुद को दिए जाने वाले लाइसेंस के बीच के विभिन्न मानकों के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि ‘दोहरे मानक इसके लिए एक बहुत ही हल्का शब्द है.’
एक कनाडाई नागरिक और खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के बारे में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद कनाडा-भारत के राजनीतिक संबंधों में आई गिरावट की पृष्ठभूमि पर बोलते हुए जयशंकर ने इसके लिए कई कारणों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि इनमें से एक कारण बदलती विश्व व्यवस्था है. जहां पश्चिमी दुनिया अभी भी उन विकासशील देशों के साथ तालमेल बिठाने के लिए संघर्ष कर रही है जो आगे बढ़ गए हैं और समान मंच पर खड़े हैं.
संबंधों में आया बदलाव
जयशंकर ने कहा कि इस ‘बड़ी तस्वीर’ के कारण ऐसी स्थितियां भी हैं जो कनाडा-भारत संबंधों के लिए विशिष्ट हैं. हालांकि व्यापार या लोगों के बीच आपसी संपर्क के मामले में दोनों देशों के बीच संबंध बेहद मजबूत हैं, लेकिन राजनीतिक रूप से चीजें तब बदल गईं. जब दोनों देश मॉन्ट्रियल से एयर इंडिया के 182 विमान कनिष्क पर 1985 में हुए बम विस्फोट की छाया से उभरे थे.
रिश्ते सबसे निचले बिंदु पर
उस रिश्ते के सबसे निचले बिंदु-राजनयिकों के निष्कासन-के बारे में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि ‘कनाडा ने हमसे अपने उच्चायुक्त के खिलाफ पुलिस जांच कराने को कहा है और हमने अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाना चुना.’ जयशंकर ने कहा कि ऐसा लगता है कि उन्हें हमारे राजनयिकों द्वारा कनाडा में हो रही उन घटनाओं के बारे में पता लगाने में समस्या है, जो सीधे उनके कल्याण और सुरक्षा से संबंधित हैं. दूसरी ओर उन्होंने कहा कि वे खुद को जो लाइसेंस देते हैं, वह कनाडा में राजनयिकों पर लगाए गए प्रतिबंधों से बिल्कुल अलग है.