कोलकाता. आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद गुस्साए जूनियर डॉक्टरों ने अपना आमरण अनशन मंगलवार को खत्म कर दिया. हालांकि, उनका आंदोलन जारी रहेगा. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधिमंडल की एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद जूनियर डॉक्टरों ने भूख हड़ताल के 18वें दिन अपना आंदोलन वापस लेने का फैसला किया.
जूनियर डॉक्टरों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने डॉक्टरों से कहा कि उनकी समस्याओं का समाधान सरकार प्राथमिकता के आधार पर करेगी और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए विभिन्न कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही डॉक्टरों की मांगों पर विचार करेगी और उन्हें समाधान प्रदान करेगी.
जूनियर डॉक्टरों का अनशन पिछले 17 दिन से चल रहा था, जिसमें वह अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आए थे. उनकी मुख्य मांगें बेहतर काम करने की स्थिति, सुरक्षा और हाई मेडिकल फैसिलिटी को लेकर थीं.
गौरतलब है कि 5 अक्टूबर से जूनियर डॉक्टर धर्मतल्ला में ‘आमरण अनशन’ पर बैठे थे. इसके साथ ही, उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज में भी भूख हड़ताल चल रही थी. 10 सूत्री मांगों को लेकर डॉक्टर अड़े हुए थे. सरकारी अस्पताल के सेमिनार हॉल में जूनियर डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था. महिला डॉक्टर का शव नौ अगस्त को मिला था, जिस पर गंभीर चोट के निशान थे. जब मामला सामने आया तो पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए डॉक्टर सड़कों पर उतर आए.
सुप्रीम कोर्ट 22 अगस्त को अस्पताल में बलात्कार और हत्या के मामले में डॉक्टर की अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में देरी पर कोलकाता पुलिस को फटकार लगाते हुए इसे ‘बेहद परेशान’ करने वाला कहा था और आगे की घटनाओं तथा प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं के समय पर सवाल उठाए थे.
शीर्ष अदालत ने डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार करने को लेकर 10 सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया था. इसने इस घटना को ‘भयावह’ करार देते हुए एफआईआर दर्ज करने में देरी और अस्पताल में हजारों लोगों द्वारा तोड़फोड़ किए जाने के मुद्दे पर राज्य सरकार को फटकार लगाई थी.