दुर्ग – गौठानों में गोबर इकट्टा कर जैविक खाद बनाकर इन्हें बाड़ी में लगाकर जैविक खेती का रास्ता खुलेगा, यह संकल्पना घुघुसीडीह गौठान में मूर्त रूप से ले रही है। यहां जैविक खाद से ढाई एकड़ बाड़ी सब्जियों की खेती से गुलजार हो गई है। बाड़ी में सब्जियों का बंपर उत्पादन हो रहा है। यहां ढाई एकड़ की बाड़ी लौकी, भिंडी, तोरई से गुलजार है। सब्जी लगाने वाले बल्दू बताते हैं कि पहली गांव के घर में पीछू कोती बाड़ी रहाय, वो दिन हा नंदा गे। अब ये नवा योजना आए हे तो फेर पुराना दिन वापस आ गे। नरवा, गरूवा, घुरूवा, योजना के क्रियान्वयन के बाद बाड़ी में बल्दू ने बड़ी मेहनत की, तीन महीने पहले उन्होंने उद्यानिकी विभाग से बीज लिए। आज वे लहलहाती फसल देख रहे हैं। हर दिन चाहे लौकी हो, भिंडी हो तोरई हो, लगभग 50 से 100 किलो उत्पादन हो रहा है। इसके माध्यम से ढाई से तीन हजार रुपए की रोज बिक्री हो रही है।
बल्दू के द्वारा मूली, गोभी, टमाटर, मिर्च लेने के लिए रोपा भी लगाने की तैयारी कर ली गई है। जिला पंचायत सीईओ श्री गजेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि सबसे बड़ी बात यह है कि जैविक है। भविष्य में आर्गेनिक सब्जियों की डिमांड तेजी से बढ़ेगी। नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी से उत्पादित हुई सब्जी ब्रांड के रूप में उभरेगी। इससे गांवों में कुपोषण स्तर भी सुधरेगा क्योंकि अभी सब्जी बाहर से आती है। सब्जी खरीदना भी क्रय शक्ति पर निर्भर करता है। अब यदि छोटी सी बाड़ी में सब्जी की विपुल खेती हो तो बच्चों के लिए पोषण तो मिलेगा ही, अपने लिए आय की संभावना भी बढ़ जाएगी।
नस्ल सुधार और बीमार पशुओं के लिए वरदान-
राज्य शासन के निर्देशों के अनुरूप निरंतर पशु चिकित्सक गौठानों में पशुओं के स्वास्थ्य की मानिटरिंग कर रहे हैं। रोज सुबह पहाटिया उन्हें गायों के स्वास्थ्य के संबंध में अवगत कराते हैं। तुरंत मौके पर ही डाक्टर दवाइयां दे देते हैं इससे पशुधन के संवर्धन में भी बड़ी मदद मिल रही है। एक ही जगह पर सभी गायों की उपलब्धता के चलते टीकाकरण कार्य भी आसान हो गया है। अब तक 1350पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। 19 पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान किया जा चुका है। नस्ल संवर्धन की दिशा में यह बड़ा कदम साबित होगा। पशुओं के लिए विशेष चारे के प्रबंध के लिए चारागाह का विकास भी किया गया है।
फलदार पौधों से रोपित है पूरा गौठान-
ग्राम घुघुसीडीह का गौठान चारों ओर से फलदार 500 पौधों से रोपित है। इसमें आम, मुनगा, पपीता, अमरूद आदि फलदार पौधे लगाये हैं। सौर उर्जा से कोटना में पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था की गई है। भविष्य में जब ये पौधे बड़े हो जाएंगे तो पूरा गौठान सुंदर फलदार पौधों से गुलजार हो जाएगा।
जैविक खाद से बाड़ी, चारागाह एवं किसानों को लाभ-
गौठान में प्रतिदिन 2-3 टन के गोबर को 8 कम्पोस्ट टैंक में एकत्रित कर जैविक खाद का निर्माण किया जा रहा है। जिसका उपयोग बाड़ी एवं चारागाह में किया जा रहा है। यह कार्य स्व-सहायता समूह माध्यम से किया जा रहा है।