संसद और चुनावी मैदान में हम नेताओं को एक-दूसरे पर तीखे हमले करते देखते हैं. अभी चुनाव का माहौल चल रहा है. झारखंड और महाराष्ट्र में राजनेता अपने विरोधियों पर तीखे हमले कर रहे हैं. संसद में भी कई बार हम देखते हैं कि नेता एक दूसरे की आलोचना की सारी हदें पार कर जाते हैं. लेकिन, इतना सब होने के बावजूद राष्ट्रीय मुद्दों खासकर विदेश से जुड़े विषय पर हम सभी एक हो जाते हैं.
कुछ ऐसा ही नजारा पिछले दिनों देखा गया. हालांकि यह नजारा किसी कैमरे में कैद नहीं किया गया. दरअसल, संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति के सामने विदेश सचिव विक्रम मिस्री के मौजूद थे. संसद की इस स्थायी समिति के अध्यक्ष कांग्रेस नेता शशि थथूर है. शशि थरूर तिरुवनंतपुरम से सांसद और वह पूर्व विदेश राज्य मंत्री हैं. शशि थरूर अंतरराष्ट्रीय मामलों के बड़े जानकार माने जाते हैं. वह संयुक्त राष्ट्र में भी भारत के स्थायी प्रतिनिधि भी रह चुके हैं. एक बार उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद का चुनाव भी लड़ा था.
यह बात शुक्रवार की है. विदेश मामलों की स्थायी समिति ने इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष और अन्य वैश्विक मसलों को लेकर सरकार के रुख को जानने के लिए मिस्री को बुलाया था. इस मीटिंग में शशि थरूर और समिति के सदस्यों ने मिस्री से तीखे सवाल किए. मिस्री ने भी सभी सवालों के विस्तार से जवाब दिए.
खूबसूरत परंपरा
दरअसल, यह भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है. यह संसदीय परंपरा की खूबसूरती है. तमाम मसलों पर लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों की समिति होती है. इस समितियों के पास बहुत शक्ति होती है. वे सरकार या देश के किसी भी अधिकारी या व्यक्ति को जवाब देने के लिए बुला सकती हैं. सरकार का यह दायित्व होता है कि इन समितियों को वह अपनी तमाम नीतियों की जानकारी दे. ये समितियां इन्हीं इनपुट्स के आधार समय-समय पर संसद को अपनी रिपोर्ट देती है. इन रिपोर्ट में वह विभिन्न मसलों पर सरकार को जरूरी कदम उठाने का भी सुझाव देती है.