अक्सर ऐसा होता है कि आप कोई संपत्ति खरीद लेते हैं, लेकिन उस पर दूसरे लोग भी दावा करने लगते हैं. खरीदने के बाद पता चलता है कि इसे किसी और ने पहले से ही खरीदा हुआ था. अक्सर यह स्थिति उन संपत्तियों की खरीद में होती है जिन्हें री-सेल पर लिया जाता है. साथ ही संपत्तियों के बाजार में पूर्व में एक या फिर उससे अधिक बार उनका सौदा हो चुका होता है. ऐसी संपत्ति आवासीय या कृषि या फिर व्यावसायिक किसी भी तरह के इस्तेमाल की हो सकती है. तो, ऐसी स्थिति से कैसे बचा जाए.
प्रॉपर्टी मामलों के जानकार प्रदीप मिश्रा का कहना है कि अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं तो कुछ चीजों को बिना चेक किए सौदा न करें. खास बात ये है कि री-सेल पर कोई संपत्ति अगर खरीद रहे तो किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होगा. अगर इन चीजों को कुछ परख के साथ खरीदा जाय तो मालिकाना हक को लेकर विवाद की स्थिति नहीं बनेगी. लिहाजा आप 5 चीजों को ध्यान में रखकर ही अपना सौदा पूरा करें.
प्रॉपर्टी का ओरिजनल डॉक्यूमेंट मांगें
री-सेल पर कोई संपत्ति खरीदते समय उसके मालिक से वास्तविक कागज की मांग करें. संपत्ति का कोई भी स्वामी, संपत्ति की बिक्री से पहले आपको ओरिजनल कागज नहीं सौंपेगा, लेकिन अपनी तसल्ली के लिए आप उन्हें दिखाने के लिए कह सकते हैं. साथ ही एक बार बयाना या टोकन मनी देने के बाद उससे उन कागजात की फोटो प्रति देने के लिए कह सकते हैं, जिससे उन कागजों की वास्तविकता का पता लगवाया जा सके. इन कागजात में सेल डीड, सेल की चेन अर्थात उस संपत्ति को पूर्व में कितनी बार बेचा गया और किसने खरीदा, टाइटल, लैंड यूज, पूर्व में की गई पेमेंट की मूल रसीदें, कब्जा यानी पजेशन सर्टीफिकेट आदि की जांच करा सकते हैं.
प्रॉपर्टी का टाइटल जरूर देखें
संपत्ति की खरीद-फरोख्त में टाइटल का अर्थ उसके स्वामी यानी मालिक से होता है. साथ ही उस संपत्ति को बेचने का अधिकार भी उसे मिलता है. यह देखने वाली बात है कि संपत्ति का मालिक जिस टाइटल पर अपना दावा कर रहा है या जिस संपत्ति पर अपना स्वामित्व बता रहा है, उसे उस संपत्ति का स्वामित्व किस तरह मिला है. क्या उस व्यक्ति ने वह संपत्ति अपने खुद के पैसों से खरीदी है? क्या वह उस संपत्ति का सह-स्वामित्व रखता है या फिर उसे वह संपत्ति अपने पूर्वजों के जरिये वसीयत, उपहार स्वरूप या फिर देश के अन्य प्रावधानों के जरिये प्राप्त हुई है. संपत्ति का टाइटल स्पष्ट हो जाने के बाद आप उस संपत्ति में निवेश के लिए कदम बढ़ा सकते हैं. टाइटल की जांच के लिए सब रजिस्ट्रार कार्यालय जा सकते हैं.
बेचने वाले की भी पुष्टि करें
संपत्ति के टाइटल की जानकारी पुष्ट करने के बाद आप खरीदार के बारे में भी जानकारी जुटाना न भूलें. आप उससे सीधे पूछ सकते हैं कि कहीं उस संपत्ति में किसी तरह का सह-स्वामित्व तो नहीं है. इसका मतलब यह है कि क्या वह व्यक्ति अकेले ही उस संपत्ति को बेचने का अधिकार रखता है या फिर उसकी बिक्री में किसी अन्य व्यक्ति की सहमति की जरूरत है. किसी मानसिक तौर पर बीमार व्यक्ति से खरीदी गई संपत्ति भी आपको झंझटों में फंसा सकती है. इसलिए पहले ही यह जानकारी भी प्राप्त कर लें कि संपत्ति का विक्रेता मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ है.
उपयोग और निर्माण की जांच
संपत्ति के स्वामी और स्वामित्व का निर्धारण हो जाने के बाद आप यह देखें कि आप उस संपत्ति पर किस तरह का निर्माण करवा सकते हैं और आप उसका कैसा इस्तेमाल कर सकते हैं? संभव है कि आपका मन कोई ऐसी संपत्ति लेने का हो जिसके भूतल पर आप दुकान बनवा लें और ऊपर के तलों पर मकान बनवाकर किराया लेना चाहते हों. इसी तरह आप कोई कृषि भूमि लेने पर विचार कर रहे हों जिसे आप फार्म हाउस के रूप में विकसित करवाना चाहते हों. इसका पता आपको लोकल एजेंसियों या जोनल प्लानिंग कार्यालयों से हो जाएगा कि आपकी प्रॉपर्टी पर क्या-क्या करने की इजाजत है.
सेल डीड और चेन भी जांचें
हर तरफ से निश्चिंत हो जाने के बाद सेल डीड की बारी आती है. यह वह दस्तावेज होता है जो यह बताता है कि विक्रेता के जरिये किन शर्तों और किस दाम पर क्रेता उस संपत्ति को खरीदेगा. इस दस्तावेज में संपत्ति के आकार और उपयोग जैसी चीजों का जिक्र भी किया जाता है. सेल डीड बनवाते समय यह ध्यान रखें कि यह दस्तावेज एक पक्षीय न हो साथ ही उसमें यह लिखवाना न भूलें कि संपत्ति खरीद लेने के बाद भी यदि संपत्ति खरीदे जाने के पहले किसी तरह का कोई बकाया होगा तो वह रकम विक्रेता द्वारा ही दी जाएगी. इसी तरह पूर्व में वह संपत्ति कितनी बार बिकी है और उसका स्वामित्व किन लोगों के पास कितने समय तक के लिए रहा है, यह सभी जानकारियां लेना न भूलें.
पजेशन सर्टीफिकेट और वेरीफिकेशन
संपत्ति की खरीद के लिए अंतिम रकम देने से पहले यह भी सुनिश्चित कर लें कि उस संपत्ति पर उसी व्यक्ति का पजेशन यानी कब्जा है जिससे आप उसे खरीद रहे हैं. यदि उस संपत्ति में कोई किरायेदार रह रहा हो तो अपने नाम पर रजिस्ट्री करवाने से पहले ही आप विक्रेता से संपत्ति खाली कराने को कहें. इसके बाद सुनिश्चित भी कर लें कि संपत्ति खाली हो चुकी है और विक्रेता के कब्जे में संपत्ति आ चुकी है. जैसे ही रजिस्ट्री हो जाय संपत्ति को आप अपने कब्जे में ले लें और अपना ताला भी उस पर लगा दें. इस बात को आप दो दैनिक समाचार पत्रों में विज्ञापन के तौर पर प्रकाशित करवा सकते हैं कि आप वह संपत्ति खरीदने जा रहे हैं और यदि किसी व्यक्ति को आपत्ति हो या उसे लेकर उसका कोई दावा करना हो तो वह आपसे संपर्क कर सकता है.