आंध्र प्रदेश: फेक ऐप्स अक्सर लोगों को जल्दी पैसा कमाने का झांसा देकर उन्हें अपनी ओर आकर्षित करते हैं. ये ऐप्स शुरू में नियमित ब्याज देते हैं ताकि लोग भरोसा कर सकें और अधिक निवेश करें. धीरे-धीरे जैसे-जैसे निवेश बढ़ता है, ऐप अचानक बंद कर दिए जाते हैं या तकनीकी खराबी का बहाना बनाकर पैसे वापसी की प्रक्रिया को टाल दिया जाता है. इससे लोग मानसिक और आर्थिक रूप से प्रभावित होते हैं और खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं.
अधिक मुनाफे का लालच बन रहा है धोखाधड़ी का कारण
इन ऐप्स की सबसे बड़ी रणनीति यही होती है कि लोगों को कम समय में अधिक मुनाफे का लालच दिखाया जाए. युवा वर्ग, खासकर वे जो जल्दी पैसे कमाने के इच्छुक होते हैं, इस जाल में आसानी से फंस जाते हैं. इस केस में भी, ₹20,000 के निवेश पर रोजाना ₹750 ब्याज का वादा किया गया, जो कि अन्य वित्तीय विकल्पों की तुलना में अत्यधिक आकर्षक था. लेकिन असलियत में, यह सिर्फ एक धोखाधड़ी की योजना थी, जिसमें सैकड़ों लोग फंस गए.
ऐप बंद होने के बाद बढ़ी परेशानियां
ऐप के बंद होने के बाद लोगों को अपना पैसा वापस पाने की चिंता सताने लगी. कई निवेशकों के पास अपनी जीवन भर की पूंजी नहीं रही, और वे आर्थिक संकट में आ गए. ज्यादातर लोग ऐसे फेक ऐप्स के कारण खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए अब पुलिस ने सक्रियता से जांच शुरू कर दी है ताकि इस तरह के धोखाधड़ी वाले ऐप्स पर अंकुश लगाया जा सके.
जागरूकता ही है बचाव का रास्ता
पुलिस और अन्य वित्तीय विशेषज्ञ लोगों को यह सलाह दे रहे हैं कि किसी भी ऑनलाइन ऐप में निवेश करने से पहले उसकी विश्वसनीयता की जांच अवश्य करें. कम समय में अधिक लाभ का वादा करने वाले ऐप्स अक्सर भरोसेमंद नहीं होते. लोग बिना सही जानकारी के इन ऐप्स में पैसे लगाने से बचें. जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है, और लोगों को सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के जरिए इस तरह के फेक ऐप्स के खिलाफ सतर्क रहना चाहिए ताकि कोई और इन धोखों का शिकार न बने.