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फसल उत्पादन हेतु कृषकों को सलाह

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दुर्ग,धान फसल की रोपाई असिंचित क्षेत्रों में अंतिम चरणों पर है। औसत वर्षा अब तक की स्थिति में सामान्य से कम है। वर्षा की स्थिति को देखते हुए फसल वृध्दि, कीट एवं रोग का पूर्वानुमान करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र, पाहंदा ‘अ‘ दुर्ग द्वारा निम्नलिखित सुझाव जारी किये गये है बोता खेत जिसमें धान फसल 40-45 दिन का हो गया हो, उसमें यूरिया खाद का प्रथम ट्राप ड्रेसिंग करें।लेबर उपलब्ध होने पर निंदाई का कार्य करें।धान फसल में इस समय प्रमुख रूप से तना छेदक, पत्ती मोड़क एवं कटुआ कीटों का आक्रमण होता है। उक्त कीटों के आक्रमण होने पर कटट्राॅप हाइड्रोक्लाराइड 4 जी दवा का 07 कि.ग्रा.प्रति एकड़ या कार्बोफ्यूराॅन 3 जी. 10-12 कि.ग्रा. प्रति एकड़ या फिप्रोनिल 5 प्रतिशत एस.सी. आदि दवाईयों में से किसी एक का छिड़काव करें।ट्रायकोकार्ड मित्र कीटों का रोपाई के 10-15 दिनों पश्चात् या बोता खेत में ब्यासी के 10 दिनों के अंतराल में 4-5 बार 3-4 कार्ड प्रति एकड़ की दर से लगाएॅ। धान फसल में वर्तमान में जीवाणु झुलसा (बहरीपान) रोग की संक्रमण होने की संभावना है। इस रोग के संक्रमण से धान के पत्तियों पर उपर से नीचे की ओर बदरंगा, धारिया बन जाता है। इसके उपचार हेतु पानी की सुविधा होने पर खेत में पानी कम करके 10 कि.ग्रा.प्रति एकड़ की दर से पोटाश खाद का छिड़काव करें। धान फसल में लम्बवत् काले भूरे रंग के धब्बे वाले रोग या ब्लास्ट रोग दिखाई देने पर सूडोमोनास फ्लूरेसेंस जैविक फफंूदनाशी दवाई का 600-700 ग्राम प्रति एकड़ या ट्रायसाइक्लोजोल 120 ग्राम प्रति एकड़ की दर से रासायनिक फफूंदनाशी दवाई का छिड़काव करें। वर्तमान समय में सोयाबीन की फसल फुल वाली अवस्था में है। इस समय इस फसल पर पत्ती खाने वाले कीट पत्ती को छेदकर खाते है और पत्ती को छलनी में बदल देते है जैसे तम्बाखू की इल्ली, अर्ध कुण्डल इल्ली, तना मक्खी एवं चक्राकार भृंग का प्रकोप होता है। इनके नियंत्रण हेतु निम्न विधि अपनाये खेत को साफ रखें। पत्ती खाने वाले कीटों के जैसे तम्बाखू की इल्ली के नियंत्रण हेतु फेरोमेन प्रपच का उपयोग करें। ट्रायजोफाॅस 40 प्रतिशत ई.सी. या प्रोफेनोफाॅस 50 प्रतिशत ई.सी. दवा का 400 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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