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18 हजार फर्जी कंपनियों ने लगाया 25000 करोड़ रुपये का चूना, टैक्‍स अधिकारियों ने कैसे पकड़ा फर्जीवाड़ा?

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जीएसटी का नया टैक्‍स कानून लागू हुआ, चोरी करने के नए-नए तरीके भी इजाद होने लगे. अब टैक्‍स अधिकारियों ने ऐसे फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ किया है, जहां 18 हजार सेल कंपनियां बनाकर 25 हजार करोड़ रुपये की टैक्‍स चोरी की गई. कर अधिकारियों ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत पंजीकृत करीब 18,000 फर्जी कंपनियों का पता लगाया है, जो करीब 25,000 करोड़ रुपये की कर चोरी में शामिल हैं.

फर्जी कंपनियों के खिलाफ हाल ही में राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया गया जिसमें अधिकारियों ने 73,000 कंपनियों की पहचान की थी. इनके बारे में उन्हें संदेह था कि वे बिना किसी वास्तविक माल की बिक्री के ही केवल ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट’ (आईटीसी) का लाभ उठाने के लिए स्थापित की गई हैं और इस तरह ये कंपनियां सरकारी खजाने को चूना लगा रही हैं.

जांच में 18 हजार कंपनियां फर्जी
अधिकारी ने बताया कि फर्जी पंजीकरण के खिलाफ दूसरे राष्ट्रव्यापी अभियान में हमने सत्यापन के लिए लगभग 73,000 जीएसटीआईएन की पहचान की थी. इनमें से लगभग 18,000 अस्तित्वहीन पाए गए. ये फर्जी कंपनियां लगभग 24,550 करोड़ रुपये की कर चोरी में शामिल थीं. विशेष अभियान के दौरान कंपनियों द्वारा लगभग 70 करोड़ रुपये का स्वैच्छिक जीएसटी भुगतान किया गया.

पहले भी 22 हजार फर्जी कंपनियां मिलीं
सरकार फर्जी जीएसटी पंजीकरण की जांच के लिए लगातार अभियान चलाती है. फर्जी पंजीकरण के खिलाफ दूसरा राष्ट्रव्यापी अभियान 16 अगस्त से अक्टूबर के अंत तक चला. इससे पहले फर्जी पंजीकरण के खिलाफ पिछले साल 16 मई से 15 जुलाई तक चले अभियान के तहत जीएसटी पंजीकरण वाली 21,791 इकाइयों का अस्तित्व नहीं पाया गया था. इस अभियान के दौरान 24,010 करोड़ रुपये की संदिग्ध कर चोरी का पता चला था.

डेढ़ साल में 49 हजार करोड़ की चोरी पकड़ी
सरकार की ओर से चलाए गए अभियान के दौरान पिछले डेढ़ साल में करीब 49 हजार करोड़ रुपये की टैक्‍स चोरी पकड़ी गई है. इस दौरान टैक्‍स अधिकारियों ने 40 हजार फर्जी कंपनियों का भी पता लगाया है. दरअसल, आईटीसी के नाम पर टैक्‍स चोरी सबसे आसान तरीका होता है. इसमें बिना माल की सप्‍लाई किए, इनपुट टैक्‍स क्रेडिट का क्‍लेम कर दिया जाता है और सरकार से उल्‍टा पैसा वसूला लिया जाता है.