अमेरिका के नए राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप का नाम फाइनल हो गया है. औपचारिक तौर पर ट्रंप के गद्दी संभालने में अभी भी करीब तीन महीने का वक्त बचा है लेकिन इससे पहले ही जर्मनी की गठबंधन सरकार गिर गई है. जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज से सहयोगी पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया है. ओलाफ स्कोल्ज ने अपने वित्त मंत्री को हटा दिया था. गठबंधन में महीनों से चल रही अंदरूनी कलह के बाद सरकार गिर गई. दक्षिणपंथी फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी (FDP) ने फाइनेंस मिनिस्टर क्रिश्चियन लिंडनर की बर्खास्तगी के बाद अपने बाकी मंत्रियों को कैबिनेट से वापस बुला लिया.
स्कोल्ज ने कहा कि वह जनवरी में विश्वास मत हासिल करेंगे, जिससे मार्च तक समय से पहले चुनाव हो सकेंगे. 45 वर्षीय लिंडनर, व्यापार समर्थक FDP के प्रमुख हैं, जिसका पोल में 4% वोटशेयर है. FDP परंपरागत रूप से रूढ़िवादी CDU/CSU गठबंधन की सरकार में भागीदार है, जो गठबंधन दलों के मुकाबले पोल में आगे चल रही है. CSU नेता मार्कस सोडर ने जनवरी में ही नए चुनाव की मांग की. ग्रीन्स के अर्थशास्त्र मंत्री रॉबर्ट हेबेक ने लोगों से इस निष्कासन को एक नई शुरुआत के रूप में देखने का आग्रह किया.
चांसलर ने अभी अल्पमत सरकार में बने रहने और जनवरी में विश्वास मत मांगने की कसम खाई है. ऐसे में मार्च में अचानक चुनाव होने की संभावना है. लेकिन रूढ़िवादी विपक्ष अगले साल के बजाय अगले सप्ताह मतदान कराने पर जोर दे रहा है. ऐसे समय में जब जर्मनी आर्थिक संकट और वैश्विक अस्थिरता से जूझ रहा है, अब देश पर समय से पहले चुनाव का बोझ भी पड़ेगा. इस तीन-तरफ़ा गठबंधन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी द ग्रीन्स है, जो अभी भी सरकार में बनी रहेगी. संसदीय बहुमत के अभाव में, उन्हें अन्य पार्टियों से व्यक्तिगत वोटों के लिए एड-हॉक समर्थन जुटाने की जरूरत होगी. उधर, जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर ने यह साफ कर दिया है कि संसद द्वारा विश्वास मत प्राप्त हो जाने के बाद वे स्कोल्ज के जल्द चुनाव कराने के प्रयास को रोकने के लिए अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं करेंगे.