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अडानी का प्रोजेक्ट इंडिया में, आरोप इंडियन अफसरों को लेकर फिर कैसे अमेरिका में जांच शुरू हो गई? समझें पूरा मामला

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नई दिल्ली :

उद्योगपति और बिजनेस टाइकून गौतम अडानी एक बार फिर चर्चा में हैं. आरोप है कि उन्होंने भारत में सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के ठेके हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को लगभग ₹2,250 करोड़ ($265 मिलियन) की रिश्वत ऑफर की है. उसके बाद अडानी समूह ने इन प्रोजेक्ट्स के लिए अमेरिकी निवेशकों से फंड जुटाया. आरोप यह भी है कि अडानी समूह ने निवेशकों को रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की जानकारी नहीं दी. इन प्रोजेक्ट्स से समूह को 20 वर्षों में लगभग $2 बिलियन का मुनाफा होने का अनुमान था.

 

अडानी पर अमेरिका में धोखाधड़ी-रिश्वत देने का आरोप सामने आने के बाद कांग्रेस ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर तीखा वार किया है. लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कहा, अडानी की तुरंत गिरफ्तारी होनी चाहिए लेकिन उन्हें ना गिरफ्तार किया जाएगा, ना उनकी जांच होगी. एक सीएम 10-15 करोड़ के आरोप में जेल चला जाता है लेकिन अडानी जी 2 हजार करोड़ रुपये का स्कैम करते हैं और कुछ नहीं होता है. राहुल का कहना था कि सरकार अडानी के साथ खड़ी है. उन्होंने इस मामले की जेपीसी जांच से मांग की. राहुल ने कहा, इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे. वहीं, बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा, किसी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने से पहले पढ़ना हमेशा अच्छा होता है. जब तक दोषी ना माना जाए, तब तक वे निर्दोष हैं.

प्रोजेक्ट में अमेरिकी इन्वेस्टर्स का लगा था पैसा?

सवाल उठ रहा है कि अडानी समूह का प्रोजेक्ट इंडिया में है, लेकिन अमेरिका में भारतीय अफसरों को लेकर कैसे जांच शुरू हो गई है? दरअसल, पूरा मामला अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक दूसरे फर्म से जुड़ा हुआ है. 24 अक्टूबर 2024 को ये मामला US कोर्ट में दर्ज किया गया. बुधवार को इसकी न्यूयॉर्क कोर्ट में सुनवाई हुई. अमेरिका के अटॉर्नी ऑफिस का कहना है कि अडानी ग्रुप ने भारत में सोलर एनर्जी से जुड़ा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को करीब 2200 करोड़ रुपए की रिश्वत पेशकश की है. अडानी पर आरोप है कि रिश्वत के इन पैसों को जुटाने के लिए उन्होंने अमेरिकी, विदेशी निवेशकों और बैंकों से झूठ बोला. अमेरिका में मामला इसलिए दर्ज हुआ, क्योंकि प्रोजेक्ट में अमेरिका के इन्वेस्टर्स का पैसा लगा था. अमेरिकी कानून के तहत उस पैसे को रिश्वत के रूप में देना अपराध है.

‘2 बिलियन डॉलर मुनाफा कमाने की थी उम्मीद’

इस संबंध में अमेरिकी अभियोजकों ने अडानी ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी, विनीत जैन और कंपनी के अन्य 6 अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है. अभियोजकों का कहना है कि राज्यों में बिजली वितरण कंपनियों के साथ सौर ऊर्जा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए अडानी ग्रुप ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को कथित तौर पर 2200 करोड़ रुपये ($265 मिलियन) की रिश्वत देने की डील की थी. ये रिश्वत कथित तौर पर 2020 और 2024 के बीच दी गई है. यह फैक्ट अमेरिकी बैंकों और निवेशकों से छिपाया गया और सौर ऊर्जा परियोजना के लिए अरबों डॉलर का फंड जुटा लिया गया. अडानी ग्रुप को ऊर्जा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करके 2 बिलियन डॉलर का मुनाफा कमाने की उम्मीद थी.

क्या कहता है अमेरिकी कानून?

चूंकि रिश्वतखोरी के आरोप भारतीय अधिकारियों से जुड़े हैं, लेकिन, अमेरिकी कानून कहता है कि यदि कोई भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला अमेरिकी निवेशकों या बाजार के हितों से संबंधित है तो ऐसे मामलों को कोर्ट में आगे बढ़ाया जा सकता है. यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि जिस अवधि में कथित तौर पर रिश्वत दिए जाने का आरोप लगाया जा रहा है, ठीक उसी समय 2023 में अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप को लेकर एक विवादित रिपोर्ट भी जारी की थी. इस रिपोर्ट में अडानी समूह पर स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था. इससे अडानी ग्रुप के बाजार मूल्य में 150 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था.

वो प्रोजेक्ट, जिसे लेकर आरोप लगाया गया…

अमेरिकी अभियोग के अनुसार, भारतीय ऊर्जा कंपनी के संस्थापक और अध्यक्ष गौतम अडानी हैं. जबकि अडानी ऊर्जा कंपनी (अडानी ग्रीन एनर्जी) के कार्यकारी निदेशक सागर अडानी हैं. इसके अलावा, एज्योर पावर के सीईओ रहे रंजीत गुप्ता, एज्योर पावर में सलाहकार रूपेश अग्रवाल अमेरिकी इश्यूअर हैं.

भारतीय ऊर्जा कंपनी और अमेरिकी इश्यूअर ने सरकारी स्वामित्व वाली सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को 12 गीगावाट सौर ऊर्जा उपलब्ध कराने का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था. हालांकि, SECI को सौर ऊर्जा खरीदने के लिए भारत में खरीदार नहीं मिल पाए. ऐसे में खरीदारों के बिना सौदा आगे नहीं बढ़ सकता था और दोनों कंपनियों के सामने बड़े नुकसान का जोखिम था. इस बीच, अडानी ग्रुप और एज्योर पावर ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की योजना बनाई.

रिश्वत का बड़ा हिस्सा आंध्र प्रदेश के अफसरों को मिला?

तय किया गया कि सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी कि वो राज्य बिजली वितरण कंपनियों को SECI के साथ बिजली आपूर्ति समझौते में शामिल होने के लिए तैयार करेंगे. उन्होंने भारतीय अफसरों को करीब 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने का वादा किया, जिसका एक बड़ा हिस्सा आंध्र प्रदेश के अधिकारियों को दिया गया.

इसके बाद कुछ राज्य बिजली कंपनियां सहमत हुईं और दोनों कंपनियों से सौर ऊर्जा खरीदने के लिए SECI के साथ समझौता किया. आरोप है कि भारतीय ऊर्जा कंपनी और अमेरिकी इश्यूअर ने मिलकर रिश्वत का भुगतान किया. इतना ही नहीं, अपनी संलिप्तता छिपाने के लिए कोड नामों का इस्तेमाल किया गया. उदाहरण के लिए गौतम अडानी को ‘Numero Uno’ या ‘The Big Man’ कहा जाता था. पूरा कम्युनिकेशन एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग के जरिए किया गया. इन दोनों कंपनियों ने कथित तौर पर अमेरिकी बैंकों और निवेशकों से 175 मिलियन डॉलर से अधिक जुटाए थे.

‘रिश्वत देने का प्लान बनाने के लिए हुईं बैठकें’

हालांकि, यूएस इश्यूअर में नेतृत्व परिवर्तन हुए, जिसके कारण काफी बदलाव हुए. रंजीत गुप्ता ने 2019-2022 तक एज्योर पावर के सीईओ के रूप में काम किया. 2022-2023 तक रूपेश अग्रवाल ने कार्यभार संभाला. परियोजना में शामिल कुछ अधिकारियों को इस्तीफा देने के लिए कहा गया. बैठकें आयोजित की गईं कि रिश्वत का भुगतान कैसे किया जाए, ताकि किसी को पता ना चल सके. विकल्पों में परियोजना के कुछ हिस्सों को ट्रांसफर करने पर भी चर्चा हुई. ऐसा भी कहा गया है कि गौतम अडानी ने भी इस संबंध में कथित तौर पर सरकारी अधिकारियों से व्यक्तिगत मुलाकात की.

फिलहाल, अमेरिकी अथॉरिटीज इस मामले की जांच कर रही हैं कि क्या अडानी ग्रुप ने अपने फायदे के लिए रिश्वत देने की कोशिश की और एनर्जी कॉन्ट्रेक्ट हासिल करने के लिए क्या उन्होंने भारत सरकार के अधिकारियों को गलत पेमेंट्स किए हैं? एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में अमेरिका की कोर्ट में सुनवाई के बाद गौतम अडानी और उनके भतीजे के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुए हैं.

अडानी ग्रुप ने सफाई में क्या कहा…

अडानी ग्रुप ने सफाई में कहा, ये आरोप निराधार हैं. हालांकि, ये सिर्फ आरोप ही हैं, जब तक दोष साबित नहीं हो जाता, तब तक प्रतिवादी निर्दोष माना जाता है. सभी संभव कानूनी उपाय किए जाएंगे. अडानी ग्रुप ने हमेशा सभी सेक्टर्स में पारदर्शिता और रेग्युलेटरी नियमों का अनुपालन किया है और करता रहेगा. हम अपने शेयरहोल्डर्स, पार्टनर और समूह की कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों को आश्वस्त करते हैं कि हम एक कानून का पालन करने वाले संगठन हैं, जो सभी कानूनों का पूरी तरह से अनुपालन करता है.

अडानी ग्रुप ने अपने बयान में कहा, अमेरिकी न्याय विभाग और SEC ने हमारे बोर्ड के सदस्यों गौतम अडानी और सागर अडानी के खिलाफ न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने एक अभियोग जारी किया है. US स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने हमारे बोर्ड के सदस्य विनीत जैन को भी इसमें शामिल किया है. इन घटनाक्रमों के मद्देनजर हमारी सहायक कंपनियों ने फिलहाल प्रस्तावित USD नामित बॉन्ड पेशकशों के साथ आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया है. ब्लूमबर्ग के मुताबिक, अमेरिका से लगे आरोपों के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों ने 600 मिलियन डॉलर के बॉन्ड को रद्द कर दिया है

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