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चीन सीमा पर ‘सबल’ तैनात, बर्फबारी में भी इंडियन आर्मी तक पहुंचाएंगे गोला-बारूद, दुश्मन पर रखेंगे नजर

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भारत-चीन के बीच 4 साल पहले हुए तनाव के बाद से कई ऐसी एडवांस तकनीक की सामरिक जरूरतों पर तेजी से ध्‍यान दिया जा रहा है, ज‍िससे भव‍िष्‍य में होने वाले किसी भी स्थिति से निपटा जा सके. इसी में से एक है ड्रोन. चीन ने पहले ही बड़ी तादाद में ऐसे ड्रोन का इस्तेमाल करना शुरू कर द‍िया है जो कि ऊंची पहाड़ियों पर तैनात सैनिकों के लिए रसद, गोलाबारूद और अन्य सामग्री को पहुंचा सकें. उसके कई वीडियोज भी डाले हैं. लेकिन अब भारतीय सेना ने चीन की आर्मी को उसी की भाषा में जवाब देने की तैयारी कर ली है. इंड‍ियन आर्मी ने लॉज‍िस्टिक ड्रोन ‘सबल’ को अपनी टीम में शामिल कर ल‍िया है.

इतना ही नहीं, आर्मी कमांडरों को इस बात की छूट दी गई है क‍ि वे अपनी जरूरत के ह‍िसाब से खुद भी इसे खरीद सकते हैं. दो साल पहले भारतीय सेना ने 363 लॉज‍िस्टि‍क ड्रोन की खरीद प्रक्रिया शुरू की थी. ये कैपिटल प्रोक्योरमेंट के तहत की जा रही है. बहरहाल ये लॉज‍िस्टि‍क ड्रोन हिमालय के हाई ऑल्‍टेट्यूड और मीडियम ऑल्‍टेट्यूड की पोस्ट पर तैनात सैनिकों तक रसद और गोला बारूद पहुंचा रहे हैं. आर्मी ने अब सबल 20 ड्रोन लिए हैं. अलग-अलग स्वदेशी ड्रोन निर्माता कंपनियों से तमाम और ड्रोन लिए जाने हैं. सबल ड्रोन की खासियत है कि ये ड्रोन 20 किलो तक का वजन उठा सकते हैं. चिनूक हेलिकॉप्टर की तरह ही इसके दो रोटर हैं . चूंक‍ि ये लॉज‍िस्टिक ड्रोन हैंं, तो ये वर्टिकल लैंडिंग और टेकऑफ करते हैं. खास बात तो ये है कि इन्‍हें रात को भी आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है. भारतीय सेना के इस्टर्न कमांड में मौजूद अपनी पोस्ट पर इमरजेंसी में कोई सामान पहुंचाना हो तो ये ड्रोन क‍िसी अवतार से कम नहीं. खासकर बर्फीले मौसम में ये काफी कारगर हैं.

नहीं बचेंगी चीन-पाकिस्तान की नापाक हरकतें
आर्टिफिश‍ियल इंटेलिजेंस आज के दौर का सबसे खतरनाक हथियार में से एक है. इसने पारंपर‍िक जंग के तरीके को पूरी तरह से बदल कर रख दिया. ड्रोन के इस्तेमाल से आसानी से निगरानी रखी जा सकती है. यहां तक क‍ि हाई ऑल्‍टेट्यूड की चोटियों पर तैनात सैनिकों को ड्रोन के जरिए लॉज‍िस्टि‍क सपोर्ट दिया जा सकता है. भारतीय सेना ने पिछले दो साल से ताबड़तोड़ ड्रोन की खरीद की है. कई तरह के ड्रोन भारतीय सेना में शामिल भी किए जा चुके हैं. नॉर्दर्न कमांड में भी बड़ी संख्या में सर्विलांस ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट के तहत ये खरीद हो रही है.