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EMI देने से जरूरी ‘बीबी’- बच्चों की देखरेख, सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने बढ़ा दी बैंकों की चिंता!

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सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है. इससे देश में लोन देने वाली संस्थाओं की परेशानी बढ़ सकती है. उनके लिए लोन की वसूली करना जटिल काम हो सकता है. दरअसल, शीर्ष अदालत ने कहा है कि किसी भी लोन धारक के लिए उनके बच्चों और उससे अलग हो चुकी पत्नी के लिए गुजारा भत्ता देना उसकी पहली प्राथमिकता है. इसके बाद ही वह अन्य मदों में पैसे खर्च कर सकता है. भले ही उक्त व्यक्ति ने बैंक से लोन ले रखा हो और उसकी किस्त देनी पड़ती हो. वह गुजाराभत्ता देने के बाद ही ईएमआई का भुगतान करेगा.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भूयान की बेंच ने एक पति की गुहार खारिज कर दी. पति ने गुहार लगाई थी कि वह इतना पैसा नहीं कमाता कि वह उससे अलग हो चुकी पत्नी के बकाये गुजाराभत्ते का भुगतान नहीं सके. पति की डायमंड की फैक्ट्री है. उसने कहा कि उसकी फैक्ट्री को भारी नुकसान हुआ है. उसके ऊपर बहुत ज्यादा कर्ज चढ़ गया है.

इस पर अदालत ने कहा कि तलाकशुदा महिला और उसके बच्चों के भरणपोषण का खर्च उठाना पति की पहली प्राथमिकता है. इसके लिए पति की संपत्ति पर उनका पहला अधिकार है. इसके बाद ही कोई देनदाता यानी बैंक या लोन देने वाली संस्था उस पर हक जमा सकती है.

जल्द गुजारा भत्ते का भुगतान करे पति
अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला के पूर्व पति को जल्द से जल्द बकाये गुजाराभत्ते का भुगतान करना होगा. इस संदर्भ में किसी भी लोन देने वाली संस्था की ओर से लोन की वसूली के लिए उठाए गए कदम या आपत्ति को बाद में सुना जाएगा.