Home छत्तीसगढ़ राजनांदगांव: पुलिस चौकी चिखली परिसर में श्री दक्षिणेश्वर हनुमान मंदिर की स्थापना…

राजनांदगांव: पुलिस चौकी चिखली परिसर में श्री दक्षिणेश्वर हनुमान मंदिर की स्थापना…

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राजनांदगांव। पुलिस चौकी चिखली परिसर में जनसहयोग से नवनिर्मित मंदिर में श्री दक्षिणेश्वर हनुमान जी की प्रतिमा को रविवार को प्राण प्रतिष्ठा दी गई। इस दौरान पुलिस चौकी चिखली मंदिर परिसर में आयोजित विविध धार्मिक कार्यक्रमों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।

नवनिर्मित मंदिर परिसर में मूर्ति स्थापना कार्यक्रम के तहत रविवार दोपहर 12:00 बजे मंदिर में वैदिक मंत्र उच्चारण के बीच भगवान हनुमान जी की विधिवत मूर्ति स्थापना की गई। इसके बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।

इस मौके पर नवनिर्मित मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा एवं मूर्ति स्थापना समारोह में उपस्थित समाजसेवी महेंद्र जँघेल ने अपने संबोधन में कहा कि भगवान सदैव हमें सामाजिक समरसता, भाईचारा, जीवदया आदि का संदेश देते रहे हैं हमें भी इनसे प्रेरणा लेकर केवल माता-पिता गुरु एवं जीव की सेवा करना चाहिए बल्कि समाज में आपसी मेलजोल को बढ़ावा देते हुए सामाजिक समरसता को बनाए रखने में भी आगे रहना चाहिए ।

पुलिस चौकी चिखली परिसर में नवनिर्मित श्री दक्षिणेश्वर हनुमान मंदिर की स्थापना पर चौकी प्रभारी नरेश कुमार बंजारे सहित समस्त चीखली पुलिस स्टाफ एवं क्षेत्रवासियों सहित गणमान्य नागरिकों की सराहनीय योगदान रहा।

क्यों होता है थाने में हनुमान मंदिर

लगभग हर थाने में आपने हनुमान जी के मन्दिर देखे होंगे। यह केवल धार्मिक कारण नहीं है। पुलिस मान्यता के अनुसार हनुमान जी विश्व के सर्वश्रेष्ठ अनुसन्धान कर्ता हैं। कड़ी से कड़ी जोड़ कर उन्होंने सीता जी की खोज की और रावण की पूरी सुरक्षा व्यवस्था को भेद कर उसके महलों ठिकानों और पुरों में होते हुए अशोक वाटिका में उनके निकट पहुँच कर अनुसन्धान पूर्ण किया। इसलिए थाने में हनुमान मन्दिर की स्थापना अपने सबसे वरिष्ठ विवेचक के प्रति आदरांजली है। अंग्रेजों के समय से यह प्रथा है। अनेक मंदिर सौ साल से भी ज्यादा समय से थाने में निर्मित हैं। ऐसा भी नहीं कि सन 1947 से 2024 के बीच किसी थाने में मंदिर न बनाया गया हो अथवा प्रतिबंध रहा हो। ये मंदिर सार्वजनिक रूप से आम जनता के लिए खुले होते हैं। पुलिस परिवारों के साथ सभी इनमें आते जाते हैं। इनमें पूजा करने वाले पुजारी को सारा स्टाफ यथायोग्य अपना योगदान देकर मानदेय देता है। लोग अपनी मन्नत मांगते हैं तथा सुंदरकांड करते हैं। कोई रोक–टोक नहीं होती।

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